श्रीमती सिद्धेश्वरी सराफ ‘शीलू’
(संस्कारधानी जबलपुर की श्रीमति सिद्धेश्वरी सराफ ‘शीलू’ जी की लघुकथाओं, कविता /गीत का अपना संसार है। । साप्ताहिक स्तम्भ – श्रीमति सिद्धेश्वरी जी का साहित्य शृंखला में आज प्रस्तुत है पर्यावरण दिवस के सन्दर्भ में एक कविता “वृक्षारोपण पर्यावरण संरक्षण”। इस सामयिक एवं सार्थक रचना के लिए श्रीमति सिद्धेश्वरी सराफ जी की लेखनी को सादर नमन। )
☆ श्रीमति सिद्धेश्वरी जी का साहित्य # 88 ☆
? वृक्षारोपण पर्यावरण संरक्षण ?
फूले उपवन डाली डाली
इनकी सुन्दरता निराली
झुम झुम कर गा रही
कोयल मतवाली काली
वृक्ष हमारे जीवन के अंग
बना कर रखे इनका संग
अपने हाथों करें संरक्षण
काट कर न करें इनको तंग
मिले हमको अनेक औषधी
जिससे मिटे जड़ से व्याधि
स्वस्थ शरीर सुन्दर मन
वृक्षों के नीचे बैठे तपोधी
करें हम वृक्षों का रोपण
तन मन हो इस पर अर्पण
भूले न इनको लगाकर
तभी होगा अपना समर्पण
अपने जीवन में करें प्रण
जैसे भुख के लिए अन्न
शुध्द वायु जीवन के लिए
वृक्षों का करें संरक्षण
पाकर हरी भरी धरा
मन भी होगा हरा भरा
बचाएंगे हम पर्यावरण
अपना ले हम परम्परा
© श्रीमति सिद्धेश्वरी सराफ ‘शीलू’
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈