प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
(आज प्रस्तुत है गुरुवर प्रोफ. श्री चित्र भूषण श्रीवास्तव जी द्वारा शिक्षा के क्षेत्र पर लिखी गई विशेष कविता “शिक्षा “। हमारे प्रबुद्ध पाठक गण प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ जी काव्य रचनाओं को प्रत्येक शनिवार आत्मसात कर सकेंगे। )
☆ काव्य धारा # 41 ☆ शिक्षा ☆
पैसा जिसके पास है दे सकता जो दान
उसको यूनिवर्सिटी की हर डिगरी आसान
शिक्षा, सर्विस, मान के भी हैं वे हकदार
बहुत प्रदूषित हो गया शिक्षा का संसार
बिना शुल्क यद्यपि सुलभ शिक्षा का अधिकार
तदपि प्रवेश की प्राप्ति का बहुत कठिन आधार
यदि प्रवेश भी मिल सका तो मुश्किल है खर्च
कोई गरीब कैसे करे जीवन बेडा पार ?
पुस्तक, कापी, ड्रेस और फीस के विविध प्रकार
निर्धन पालक को कठिन लेना राशि उधार
शिक्षा कम शालाओ का टीम टाम पर जोर
दुखी पालकों पर बढ रहा है आर्थिक भार
ऊँची अभिलाषाओं का मन में भरा गुबार
इससे कोचिंग क्लास का बढा हुआ व्यापार
लेते उॅंची फीस सब एडमीशन के साथ
किंतु सफल परिणाम हो, कोई न जिम्मेदार
शासन और समाज को शायद नहीं यह ध्यान
शुभ शिक्षा बिन असंभव श्रेष्ठ राष्ट्र निर्माण
यदि शिक्षक और पाठ्यक्रम का स्तर प्रतिकूल
तो शिक्षा कर सकती नहीं पूर्ण सुखद अनुमान
सदाचार अब है नहीं जीवन का आधार
इससे अनुचित हो रहे सब दैनिक व्यवहार
शिक्षा शिक्षा न रही बन गई है दूकान
लेनदेन से हो रहे वहाॅ सभी व्यापार
आवश्यक है हो सभी शिक्षा में सुधार
© प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
ए १ ,विद्युत मण्डल कालोनी , रामपुर , जबलपुर
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈