श्री श्याम खापर्डे
(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है महामारी कोरोना से ग्रसित होने के पश्चात मनोभावों पर आधारित एक अविस्मरणीय भावप्रवण कविता “# तुम जुगनू बनके —- #”।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 40 ☆
☆ # तुम जुगनू बनके —- # ☆
तुम जुगनू बनके
मेरे जीवन में आये हो
तम के काले बादलों से
किरण लाये हो
पतझड़ में उजड़ गई थी
जो मेरी बगीया
तुम ने सींचा तो
हर फूल में तुम मुस्कुराये हो
हर कली तक रही है
कब से राह तुम्हारी
इस उपवन में जबसे तुम
भ्रमर बनकर आये हो
हम भी मरन्नासन्न थे
महामारी की लहर में
तुम ही तो दवा पिलाकर
हमें होश में लाये हो
ये तपता हुआ तन
ये प्यासा प्यासा मन
तुम रिमझिम फुहार बनकर
ये अगन बुझाये हो
कल का क्या भरोसा
रहे ना रहे हम
कुछ पल आंखें मूंद लो
बहुत सताये हो
अभी ना करो जिद
जाने की “श्याम” तुम
मुद्दत के बाद तो
पहलू में आये हो
© श्याम खापर्डे
11/06/2021
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