श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ 

(प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ जी के साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक साहित्य ”  में हम श्री विवेक जी की चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं। श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र जी, अतिरिक्त मुख्यअभियंता सिविल  (म प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी , जबलपुर ) से सेवानिवृत्त हैं। तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ ही उन्हें साहित्यिक अभिरुचि विरासत में मिली है। आपको वैचारिक व सामाजिक लेखन हेतु अनेक पुरस्कारो से सम्मानित किया जा चुका है। आज प्रस्तुत है श्री विवेक जी द्वारा रचित समसामयिक विषय पर आधारित एक कविता  कट्टरता के काले पंजे….। इस विचारणीय रचना के लिए श्री विवेक रंजन जी की लेखनी को नमन।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक सहित्य # 110 ☆

? कट्टरता के काले पंजे ?

कठपुतली की तरह नचाते हैं अवाम को

कट्टरता के काले पंजे

छीन कर ताकत

सोचने समझने की

डाल देते हैं

दिमाग पर काले पर्दे

कट्टरता के काले पंजे

 

ओढ़ा देते हैं बुर्के औरतों को,

कैदखाना बना देते हैं

घर घर को

अदृश्य काले पंजे

 

मनमानी व्याख्या कर लेते हैं

पवित्र किताबों की

जिंदगी को

जहन्नुम बना देते हैं

फासिस्ट क्रूर काले पंजे

 

बंदूक की नोक

बम और बारूद

अमानवीय नृशंसता

तो महज दिखते हैं

दरअसल कठमुल्ले विचार

हैं काले पंजे

 

हिटलर के गोरे शरीर में

छिपे थे ऐसे ही काले पंजे

तालिबानी ताकत हैं

ये ही काले पंजे

 

सावधान

रखना है दिल दिमाग

हमें कभी कठपुतली

न बना सकें

कोई काले या सफेद

दृश्य या अदृश्य

प्रत्यक्ष या परोक्ष

फासिस्ट पंजे

 

© विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ 

ए १, शिला कुंज, नयागांव,जबलपुर ४८२००८

मो ७०००३७५७९८

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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