श्रीमती  सिद्धेश्वरी सराफ ‘शीलू’

(संस्कारधानी जबलपुर की श्रीमति सिद्धेश्वरी सराफ ‘शीलू’ जी की लघुकथाओं, कविता /गीत का अपना संसार है। । साप्ताहिक स्तम्भ – श्रीमति सिद्धेश्वरी जी का साहित्य  शृंखला में आज प्रस्तुत है  ज्ञानवर्धक एवं विचारणीयआलेख  “ प्रणाम  । इस सार्थक, ज्ञानवर्धक एवं विचारणीय रचना के लिए श्रीमति सिद्धेश्वरी सराफ जी की लेखनी को सादर नमन। ) 

☆ श्रीमति सिद्धेश्वरी जी  का साहित्य # 91 ☆

 ? आलेख – प्रणाम ?

??
कर प्रणाम तू बंदे
छूट जाएंगे दुख के फंदे
मनुज कर प्रणाम तू भूलोक
सुधार अपना इह लोक परलोक

प्रणाम करना हमारे हिंदू संस्कृति की मूल और प्रथम पहचान है। जब हम किसी से मिलते हैं प्रणाम करते हैं। शाश्वत भगवान से आरंभ कर बड़ों को, गुरुजनों को, माता पिता को और हमें जिन्हें लगता है कि हमें इनको श्रद्धा पूर्वक प्रणाम करना चाहिए, उन्हें प्रणाम करते हैं। आरंभ से यही सिखाया जाता है।

आजकल ज्यादातर घरों में या यूं कह लीजिए प्रणाम का प्रचलन ही खत्म होने लगा है और कुछ बचता तो इस सोशल मीडिया के चलते सब कुछ बदल गया है। अब बहुत कम घरों में बड़ों को प्रणाम कर आशीर्वाद लेकर, कहीं बाहर निकलना या शुभ काम के लिए जाना होता है। जैसे सब कुछ भुला बैठे हैं। हमारी अपनी परंपरा धूमिल होती चली जा रही है। प्रणाम करने से स्वयं का ही फायदा होता है। मन में विश्वास और एक अलग ही उर्जा स्फूर्ति बढ़ती है।

आप सभी को एक पुरानी कहानी का वर्णन कर रही हूं। एक ब्राह्मण के यहाँ बालक ने जन्म लिया। ब्राह्मण महान ज्योतिष था। उसने देखा कि उसके बच्चे की आयु केवल सात वर्ष है। वह बड़े सोच विचार में पड़ गया। पत्नी ने पूछा “क्या बात है स्वामी आप बालक के जन्म से प्रसन्न नहीं हुए?” ब्राह्मण ने कहा “प्रिये खुशी कैसे मनाए। बेटा हमारे पास केवल सात वर्ष ही रह पाएगा।” पत्नी ने कहा “आप चिंता ना करें।”

बच्चा जब थोड़ा बड़ा हुआ और प्रणाम करने का अर्थ समझ गया तब माँ ने उसे प्रणाम का मतलब समझा रोज़ तैयार कर नदी जाने वाले रस्ते में बिठा देती थी और समझाती की ‘बेटा यहाँ से जितने भी ऋषि मुनि और देव आत्मा निकले सभी को झुककर दोनों हाथ जोड़कर प्रणाम करना।’ बालक माँ का आज्ञाकारी था। सुबह से बैठ जाता। वहाँ से जितने भी ऋषि मुनि निकलते सभी को प्रणाम करते जाता था।

एक दिन वहाँ से वेद व्यास जी अपने शिष्यों सहित निकले। उन्हें बालक ने तत्काल प्रणाम किया। वेदव्यास जी ने “चिरंजीव भव:” का आशीर्वाद दिया। पास बैठी माँ ने तत्काल खड़े होकर महर्षि से प्रश्न किया “या तो आपका आशीर्वाद झूठा है या फिर मेरे बेटे का जन्म से मरण सात साल का लिखा हुआ आयु?”

अब तो वेदव्यास जी असमंजस में पड़ गए। अपने वचन की रक्षा के लिए तपोबल से उस ब्राह्मण के बालक की आयु को शतायु करना पड़ा। प्रणाम करने का इतना बड़ा उपहार पाकर ब्राह्मण की पत्नी खुशी खुशी घर को लौट चली। और प्रणाम के बदले शतायु और परलोक जाने के बाद श्री हरि के चरणों में स्थान पाने के हकदार बने। मतलब प्रणाम करने से सारी बाधाएँ दूर हो जाती हैं।

आज भी यदि फिर से सभी घरों में बड़ों को सम्मान पूर्वक प्रणाम की परंपरा आरंभ की जाए तो आधी लड़ाई तो यूं ही खत्म हो जाएगी।

महाभारत के युद्ध के समय दुर्योधन के कटु शब्दों के कारण भीष्म पितामह दूसरे दिन “प्रातः पांडव का वध निश्चित करूंगा” कह कर प्रण किये। रात में ही श्री कृष्ण जी द्रोपदी को लेकर भीष्मपितामह के शिविर पर पहुँच गए और बाहर स्वयं खड़े होकर द्रौपदी को अंदर जाने का आदेश दिए। द्रोपदी ने जैसे ही जाकर भीष्म पितामह को प्रणाम किया उन्होंने ‘सौभाग्यवती भव:’ का आशीर्वाद दिया और कहा-” इतनी रात तुम्हें यहाँ शायद माधव ही लेकर आए हैं। क्योंकि यह काम केवल वही कर सकते हैं।”
और बाहर निकलकर श्री कृष्ण और पितामह दोनों एक दूसरे को प्रणाम करते हैं। बदले में दूसरे दिन युद्ध में पाँचों पांडवों जीवित रहते हैं। श्री कृष्ण समझाते हैं “द्रौपदी यदि तुम और बाकी रानियों ने राजमहल में सभी बड़ों को नित प्रणाम और श्रद्धा पूर्वक प्रेम से, विनय से आदर किया होता तो आज महाभारत नहीं होता।”

प्रणाम का एक अर्थ ‘विनय या विनत’ भी है जिसका मूल अर्थ है आदर करना या सम्मान करना। प्रणाम बड़ों के दिए आशीर्वाद कवच की भांति काम करता है। प्रणाम प्रेम है, प्रणाम अनुशासन हैं, प्रणाम शीतलता है, प्रणाम आदर्श सिखाता है, प्रणाम से सुविचार आते हैं, प्रणाम झुकना सिखाता है, प्रणाम क्रोध मिटाता आता है, प्रणाम हमारी संस्कृति है।
??

 

© श्रीमति सिद्धेश्वरी सराफ ‘शीलू’

जबलपुर, मध्य प्रदेश

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

image_print
5 1 vote
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments