श्री एस के कपूर “श्री हंस”
☆ “श्री हंस” साहित्य # 90 ☆
☆ मुक्तक ☆ ।। हर रात के बाद सूरज डूब कर फिर निकलता है ।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆
[1]
हार में भी जीत में भी मजा लीजिए।
नफरत मे खुद को मत सजा दिजिए।।
एक हार नहीं जीवन का आदि अंत।
हर स्तिथि से खुद की रजा कीजिए।।
[2]
क्षमताऔर ज्ञान का मत करना गरुर।
नहीं तो नशे सा चढ़ जाता है सरूर।।
खूबी और खामी होती हर इंसान मे।
अच्छी बातें तुम देखना पहले जरूर।।
[3]
शुरू होकर कहानी खत्म हो जाती है।
अच्छे क़िरदार की याद रंग लाती है।।
वो हारा नहीं जो गिर कर भी संभलता।
हर रात के हर सुबह भी रोशनी पाती है।।
[4]
मंहगी घड़ी मुश्किल घड़ी दोनों निभाएं।
करके कुछ काम अलग ही आप दिखाएं।।
बड़े भाग्य से मिलता आदमी का लिबास।
सफलता को रोज नया सीखें नया बताएं।।
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© एस के कपूर “श्री हंस”
बरेली
मोब – 9897071046, 8218685464