डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं आपकी एक भावप्रवण रचना तुम हो तो…।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 203 – साहित्य निकुंज ☆
☆ तुम हो तो… ☆ डॉ भावना शुक्ल ☆
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तुम हो मेरा जहान
तुम हो मेरी जान
तुम से ही मेरी पहचान
तुम हो तो…
तुम हो मेरे प्रणेता
तुम हो चहेता
तुम हो मेरी कविता
तुम हो तो …
तुम हो मेरा दर्शन
तुम हो मेरा मार्गदर्शन
तुम हो मेरा दिग्दर्शन
तुम हो तो…
तुम हो मेरे प्रतिमान
तुम हो मेरा अभिमान
तुम हो मेरा सम्मान
तुम हो तो…
तुम हो मेरा आकर्षण
तुम हो मेरा समर्पण
तुमको सब अर्पण
तुम हो तो …
तुम हो जीवन का सार
तुम हो मेरा संसार
तुम हो मेरा अधिकार
तुम हो तो …तुम।
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© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
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