डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं “भावना के दोहे – श्राद्ध पक्ष ”। )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 99 – साहित्य निकुंज ☆
☆ भावना के दोहे – श्राद्ध पक्ष ☆
हाथ पांव धोकर सभी, बैठे पुरखे द्वार।
स्वागत उनका कर रहा, अपना ही परिवार।।
पितरों का तर्पण करें, श्राद्ध पक्ष में आज।
पुरखों के आशीष से, बनते बिगड़े काज।।
दूर गए हमसे सभी, दिल के है वे पास।
विदा हुए संसार से, हैं वे सबके खास।।
करकशता है काग की, बनी यही पहचान।
फिर भी मिलता है उसे, श्राद्धपक्ष सम्मान।।
कांव कांव वो कर रहा, बैठ मुंडेर काग।
लेने आया भाग से, पितरों का वह भाग।।
© डॉ.भावना शुक्ल
सहसंपादक…प्राची
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≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
वाह
अति सुंदर रचना