डॉ भावना शुक्ल

(डॉ भावना शुक्ल जी  (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान  किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं   “भावना के दोहे । ) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  # 100 – साहित्य निकुंज ☆

☆ भावना के दोहे ☆

बदल रही देखो प्रकृति, क्वांर मास में रूप।

मनमोहक-सा दृश्य है, मन को लगे अनूप।।

 

कार्तिक में पूजन करें, नित्य नियम से दान।

व्रत संयम पालन करें, हो जाता कल्यान।

 

बीत गए कुछ मास जो, कोरोना के  घाव।

लेकर हम जीते रहे, ऐसे दुसह प्रभाव।।

 

खिले मुकुल को देखकर, जागी उसकी प्यास।

मधुप विनय जो कर रहा, तुझसे ही हैं आस।।

 

मन मंजुल को देखकर, होता है आभास।

प्रियतम उसमें बस गया, आया मन को रास।।

 

© डॉ.भावना शुक्ल

सहसंपादक…प्राची

प्रतीक लॉरेल , C 904, नोएडा सेक्टर – 120,  नोएडा (यू.पी )- 201307

मोब  9278720311 ईमेल : [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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Shyam Khaparde

बहुत ही अच्छे भावपूर्ण दोहे