श्री संतोष नेमा “संतोष”
(आदरणीय श्री संतोष नेमा जी कवितायें, व्यंग्य, गजल, दोहे, मुक्तक आदि विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं. धार्मिक एवं सामाजिक संस्कार आपको विरासत में मिले हैं. आपके पिताजी स्वर्गीय देवी चरण नेमा जी ने कई भजन और आरतियाँ लिखीं थीं, जिनका प्रकाशन भी हुआ है. आप डाक विभाग से सेवानिवृत्त हैं. आपकी रचनाएँ राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशित होती रहती हैं। आप कई सम्मानों / पुरस्कारों से सम्मानित/अलंकृत हैं. “साप्ताहिक स्तम्भ – इंद्रधनुष” की अगली कड़ी में प्रस्तुत हैं एक भावप्रवण कविता “माँ के चरणों में भगवान ”। आप श्री संतोष नेमा जी की रचनाएँ प्रत्येक शुक्रवार आत्मसात कर सकते हैं।)
☆ साहित्यिक स्तम्भ – इंद्रधनुष # 90 ☆
☆ माँ के चरणों में भगवान ☆
माँ की महिमा बड़ी महान
माँ के चरणों में भगवान
आँखों में जब नींद न आती
लोरी गाकर हमें सुलाती
थप-थपाती प्यार से सिर को
देकर मधुर सुरीली तान
माँ की महिमा बड़ी महान
संकट में वह साहस देती
नजर उतार बलैयां लेती
मुश्किलों के आगे भी वह
खड़ी रहे जो सीना तान
माँ की महिमा बड़ी महान
मंज़िल की माँ राह दिखाती
संस्कार अच्छे सिखलाती
परिवार की जननी बन कर
करे सदा सबका कल्यान
माँ की महिमा बड़ी महान
कहाँ हैं अब आँख के तारे
माँ के थे जो राजदुलारे
भूल गए वो अब यौवन में
अपनी माँ का भी सम्मान
माँ की महिमा बड़ी महान
घर में जब होता बंटवारा
माँ का दिल रोता बेचारा
अपनी ही खुशी में सारे
भूल गए माँ की मुस्कान
माँ की महिमा बड़ी महान
जिसने सबको पाला-पोसा
उसके लिए न किसने सोचा
बे-बस माँ सिसक कर कहती
बेटे पूर्ण करो अरमान
माँ की महिमा बड़ी महान
माँ से बनते रिश्ते सारे
माँ से ही घर में उजियारे
काम-काज दिन-रात करती
फिर भी आती नहीं थकान
माँ की महिमा बड़ी महान
गर्म किसी का माथा होता
माँ का दिल अंदर से रोता
बिन दवा के बन जाती है
माँ दुआओं की इक दुकान
माँ की महिमा बड़ी महान
माँ का दिल मत कभी दुखाना
वही है खुशियों का खजाना
कहता है “संतोष”सभी से
माँ की सेवा कर नादान
माँ की महिमा बड़ी महान
माँ का ऊँचा है स्थान
करिए माँ का सब गुणगान
माँ के चरणों में भगवान
माँ की महिमा बड़ी महान
© संतोष कुमार नेमा “संतोष”
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