डॉ भावना शुक्ल
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 101 – साहित्य निकुंज ☆
☆ नवरात्रि पर्व विशेष – भावना के दोहे ☆
मण्डप देखो सज गया, कलश स्थापना आज।
देवी का पूजन करो, बनते बिगड़े काज।।
अदभुत प्रथम स्वरूप है, शैल सुता का रूप ।
करते हैं आराधना, देवी बड़ी अनूप।।
आए दिन नवरात्रि के, बना आगमन खास।
श्रद्धा से सब पूजते, पूरी होती आस।
मंगलमय उत्सव यही, गाए मंगल गान।
नौ देवी जो पूजते, हो जाता कल्याण।।
जग जननी, जगदंबिका, नौ देवी अवतार।
आदिशक्ति वरदायनी, पूजें बारंबार।।
शक्ति स्वरूपा मातु श्री, करती है उद्धार।
विनती करने आ गए, माता के दरबार।।
© डॉ.भावना शुक्ल
सहसंपादक…प्राची
प्रतीक लॉरेल , C 904, नोएडा सेक्टर – 120, नोएडा (यू.पी )- 201307
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈