श्रीमती  सिद्धेश्वरी सराफ ‘शीलू’

(संस्कारधानी जबलपुर की श्रीमति सिद्धेश्वरी सराफ ‘शीलू’ जी की लघुकथाओं, कविता /गीत का अपना संसार है। । साप्ताहिक स्तम्भ – श्रीमति सिद्धेश्वरी जी का साहित्य  शृंखला में आज प्रस्तुत है  स्त्री विमर्श पर आधारित एक संवेदनशील लघुकथा  “ओरिजनल फोटो। इस विचारणीय लघुकथा के लिए श्रीमति सिद्धेश्वरी सराफ जी की लेखनी को सादर नमन। ) 

☆ श्रीमति सिद्धेश्वरी जी  का साहित्य # 99 ☆

? लघुकथा – ओरिजनल फोटो ?

शहर की भीड़भाड़ ईलाके के पास एक फोटो कापी की दुकान। विज्ञापन निकाला गया कि काम करने वाले लड़के – लड़कियों की आवश्यकता है, आकर संपर्क करें।

दुकान पर कई दिनों से भीड़ लगी थीं। बच्चे आते और चले जाते। आज दोपहर 2:00 बजे एक लड़की अपना मुंह चारों तरफ से बांध और ऐसे ही आजकल मास्क लगा हुआ। जल्दी से कोई पहचान नहीं पाता। दुकान पर आकर खड़ी हुई।

मालिक ने कहा कहां से आई हो, उसने कहा… पास ही है घर मैं समय पर आ कर सब काम कर जाऊंगी। मेरे पास छोटी स्कूटी है। दुकानदार ने कहा ..जितना मैं पेमेंट  दूंगा तुम्हारे पेट्रोल पर ही खत्म हो जाएगा। तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा।

लड़की ने बिना किसी झिझक के कहा… सर आप मुझे नौकरी पर रखेंगे तो मेहरबानी होगी और एक गरीब परिवार को मरने से बचा लेंगे।

जानी पहचानी सी आवाज सुन दुकान वाले ने जांच पड़ताल करना चाहा। और कहा… अपने सभी कागजात दिखाओ और अपने चेहरे से दुपट्टा हटाओं, परंतु लड़की ने जैसे ही अपना चेहरा दुपट्टे से हटाया!!! अरे यह तो उसकी अपनी रेवा है जिसे वह साल भर पहले एक काम से बाहर जाने पर मिली थी।बातचीत में शादी का वादा कर उसे छोड़ आया था। उसने कहा ..जी हां मैं ही हूं…. आपके बच्चे की मां बन चुकी हूं। अपाहिज मां के साथ मै जिंदगी खतम करने चली थी, परंतु बच्चे का ख्याल आते ही अपना ईरादा बदल मैंने काम करना चाहा।

आज अचानक आपका पता और दुकान नंबर मिला। मैं नौकरी के लिए आई।मैं आपको शादी के लिए जोर नहीं दे रही। वह मेरी गलती थी, परंतु आपके सामने आपके बच्चे के लिए मैं काम करना चाहती हूं।

फोटो कापी के दुकान पर अचानक सभी तस्वीरें साफ हो गई । अपने विज्ञापन को वह क्या समझे??? कभी रेवा के कागज तो कभी उसके बंधे हुए बेबस चेहरे को देखता रहा।

उस का दिमाग घूम रहा था। जाने कितने फोटो कापी मशीन चलाता रहा और जब ओरिजिनल सामने आया तब सामना करना मुश्किल है????

तभी आवाज आई कितना पेमेंट देगें मुझे आप?????

© श्रीमति सिद्धेश्वरी सराफ ‘शीलू’

जबलपुर, मध्य प्रदेश

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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Shyam Khaparde

जबरदस्त अभिव्यक्ति

डॉ भावना शुक्ल

वाह बहुत बढ़िया कटाक्ष