डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची ‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। उनके “साप्ताहिक स्तम्भ -साहित्य निकुंज”के माध्यम से आप प्रत्येक शुक्रवार को डॉ भावना जी के साहित्य से रूबरू हो सकेंगे। आज प्रस्तुत है डॉ. भावना शुक्ल जी की एक हृदयस्पर्शी कविता “माँ तुझे प्रणाम ”। )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – # 14 साहित्य निकुंज ☆
☆ माँ तुझे प्रणाम ☆
माँ
जीवन है
तुम्हारा नाम है
ईश्वर से पहले
तुमको प्रणाम है
तेरी याद में अब जीना है
धरती और आकाश बिछौना है
मन हैं बहुत बैचेन
बिन तेरे नहीं हैं चैन
मन नहीं करता
कलम उठाने को
लगता है
शब्द
हो गये हैं निर्जीव
लेकिन
यादें हैं सजीव
क्योंकि
जिंदगी नहीं रूकती
जिंदगी चलने का नाम है
चाहता है मन
करना है बहुत से काम
लिखना है माँ के नाम
माँ तुझे प्रणाम.