श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी के साप्ताहिक स्तम्भ “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है सजल “सीमा पर प्रहरी खड़े…”। अब आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।
मनोज साहित्य # 5 – सजल – सीमा पर प्रहरी खड़े … ☆
सजल
समांत-आल
पदांत-हैं
मात्राभार- 13
बजा रहे कुछ गाल हैं।
नेता मालामाल हैं ।।
नोंच रहे है भ्रष्टाचारी,
नेकनियति की खाल हैं।
खड़े विरोधी हैं सभी ,
बिछा रहे कुछ जाल हैं।
सीमा पर प्रहरी खड़े,
माँ भारत के लाल हैं।
खेत और खलिहान में,
कृषक बने कंकाल हैं।
नेक राह कठिन लगतीं,
खड़े-बड़े जंजाल हैं।
देवदूत बन आ खड़े ,
दुखती रग के ढाल हैं।
© मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
22 मई 2021
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