श्री जय प्रकाश पाण्डेय
(श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके व्यंग्य रचनाओं पर स्व. हरीशंकर परसाईं जी के साहित्य का असर देखने को मिलता है। परसाईं जी का सानिध्य उनके जीवन के अविस्मरणीय अनमोल क्षणों में से हैं, जिन्हें उन्होने अपने हृदय एवं साहित्य में सँजो रखा है।आज प्रस्तुत है एक भावप्रवण कविता ‘जीतने वाले….’).
☆ कविता # 108 ☆ जीतने वाले.... ☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय☆
जीत के
अक्षर में
शब्द हंसते हैं,
शब्द हमेशा
टटोलते हैं
जीत का मतलब,
जीतने वाले
शब्दों से
खेलते नहीं,
जीतने वाले
शब्दों को
मान देते हैं,
जीतने वाले
शब्दों को
मधुर बनाते हैं,
जीतने वाले
शब्दों को
हंसी देते हैं,
जीतने वाले
शब्दों को
नये अर्थ देते हैं,
जीतने वाले
शब्दों को
आत्मसात करते हैं,
© जय प्रकाश पाण्डेय