श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ 

(प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ जी के साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक साहित्य ”  में हम श्री विवेक जी की चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं। श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र जी, मुख्यअभियंता सिविल  (म प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी , जबलपुर ) से सेवानिवृत्त हैं। तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ ही उन्हें साहित्यिक अभिरुचि विरासत में मिली है। आपको वैचारिक व सामाजिक लेखन हेतु अनेक पुरस्कारो से सम्मानित किया जा चुका है। आज प्रस्तुत है श्री विवेक जी  द्वारा रचित एक विचारणीय आलेख  ‘रायल होटल भवन, जबलपुर, जहां कभी इंडियन्स नाट एलाउड का बोर्ड लगा रहता था । इस विचारणीय आलेख के लिए श्री विवेक रंजन जी की लेखनी को नमन।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक सहित्य # 122 ☆

?  रायल होटल भवन, जबलपुर, जहां कभी ‘इंडियन्स नाट एलाउड’ का बोर्ड लगा रहता था ?

19वीं शताब्दी में , १८५७ की क्रांति के लगभग तुरंत बाद जबलपुर के एक बड़े टिम्बर मर्चेन्ट डा बराट जो एक एंग्लो इंडियन थे, ने  इस तत्कालीन शानदार भवन का निर्माण करवाया था। बाद में यह भवन  तत्कालीन राजा गोकुलदास के आधिपत्य में आ गया , क्योकि डा बराट राजा गोकुलदास के सागौन के जंगलो से ही लकड़ी का  व्यापार करते थे। राजा गोकुलदास ने  अपनी नातिन राजकुमारी को यह भवन दहेज में दिया था। जिन्होंने इस भवन को रॉयल ग्रुप को बेच दिया गया। ग्रुप ने इसे एक आलीशान होटल में तब्दील कर दिया।

यह होटल सिर्फ ब्रिटिशर्स और यूरोपीयन लोगों के लिए बनाया गया था। ब्रिटिशर्स भारतीयों पर हुकूमत कर रहे थे। अपने समय में होटल की भव्यता के काफी चर्चे थे। होटल के गेट पर ही ‘इंडियंस नॉट अलाउड’ का बोर्ड लगा हुआ था।  रॉयल होटल ब्रिटिशकाल में अंग्रेजों की एशगाह रही । खास बात यह है कि भारत में होने के बावजूद भारतीयों को इस महल के आस-पास फटकने की भी इजाजत नहीं थी। यहां तक की होटल के सुरक्षा गार्ड और कर्मचारी भी ब्रिटिशर्स या यूरोपियन ही होते थे।

यूरोपियन शैली का निर्माण

रॉयल होटल इंडो-वेस्टर्न के साथ-साथ यूरोपियन शैली में बना है।  इस होटल के हॉल की चकाचौंध देखकर ही लोग आश्चर्य में पड़ जाते थे। इसके साथ ही अंग्रेजों के आराम के लिए बड़े-बड़े कमरे बनाए गए थे। जिसमें एशो-आराम की सारी सुविधाएं मौजूद थीं। होटल की बनावट ऐसी थी कि कमरों में वातानुकूलित व्यवस्था जैसा अहसास होता था। अंग्रेजों की प्राइवेसी का भी यहां खास ध्यान रखा जाता था।

भवन में लगे सेनेटरी फिटिंग , झाड़ फानूस आदि इंग्लैंड , इटली आदि देशो से लाये गये थे। अभी भी जो चीनी मिट्टी के वेस्ट पाइप टूटी हुई अवस्था में भवन में लगे हुये हैं , उनके मुहाने पर शेर के मुंह की आकृति है। जो मेंगलूर टाइल्स छत पर हैं वे भी चीनी मिट्टी के हैं।

अब खंडहर में तब्दील हो गया होटल

स्वतंत्रता के बाद इस महल में बिजली विभाग का दफ्तर चला। कुछ समय बाद यहां एनसीसी की कन्या बटालियन का कार्यालय बनाया गया। लेकिन, अब यह महल खंडहर में तब्दील हो चुका है। प्रदेश सरकार ने इसे संरक्षित इमारत घोषित किया है लेकिन इसके रखरखाव पर अब तक ध्यान नहीं दिया गया है।

जबलपुर का रायल होटल राज्य शासन संरक्षित स्माकर बनेगा। राज्य के संस्कृति विभाग ने इस संबंध में मप्र एन्शीएन्ट मान्युमेंट एण्ड आर्कियोलाजीकल साईट्स एण्ड रिमेंस एक्ट,1964 के तहत इस प्राचीन स्मारक को ऐतिहासिक पुरातत्व महत्व के प्राचीन स्मारक को राज्य संरक्षित करने की कार्यवाही प्रारंभ कर दी है और इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है। यह राजस्व खण्ड सिविल लाइन ब्लाक नं। 32 प्लाट नं। 11-12/1 में स्थित है। इसका कुल क्षेत्रफल 14144-05 वर्गफुट है। फिलहाल इसका स्वामित्व एमपी इलेक्ट्रिक बोर्ड जबलपुर रामपुर के पास लीज के तहत है।

रायल होटल बंगला राज्य संरक्षित घोषित होने के बाद इसके सौ मीटर आसपास किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य प्रतिबंधित रहेगा तथा इस सौ मीटर के और दो सौ मीटर व्यास में रेगुलेट एरिया रहेगा जिसमें किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य विहित प्रावधानों के तहत आयुक्त पुरातत्व संचालनालय की अनुमति से ही हो सकेगा, उक्त प्राचीन होटल के बारे में राज्य सरकार की राय है कि इसे विनष्ट किये जाने, क्षतिग्रस्त किये जाने, परिवर्तित किये जाने, विरुपित किये जाने,हटाये जाने, तितर-बितर किये जाने या उसके अपक्षय होने की संभावना है जिसे रोकने के लिये इसे संरक्षित किया जाना आवश्यक हो गया है।

अब समय आ गया है कि इस पुरातन भवन को संग्रहालय के रूप में इस तरह विकसित किया जावे कि कभी भारतीयो को अपमानित करने वाला भवन का द्वार हर भारतीय नागरिक को ससम्मान आमंत्रित करते हुये हमारी पीढ़ियों को हमारे इतिहास से परिचित करवाये।

© विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ 

ए २३३, ओल्ड मीनाल रेसीडेंसी, भोपाल, ४६२०२३

मो ७०००३७५७९८

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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Puhupsingh bharat

Very nice history congratulation