हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ – ☆ सकारात्मक सपने – #16 – कागज जलाना मतलब पेड़ जलाना  ☆ सुश्री अनुभा श्रीवास्तव

सुश्री अनुभा श्रीवास्तव 

(सुप्रसिद्ध युवा साहित्यकार, विधि विशेषज्ञ, समाज सेविका के अतिरिक्त बहुआयामी व्यक्तित्व की धनी  सुश्री अनुभा श्रीवास्तव जी  के साप्ताहिक स्तम्भ के अंतर्गत हम उनकी कृति “सकारात्मक सपने” (इस कृति को  म. प्र लेखिका संघ का वर्ष २०१८ का पुरस्कार प्राप्त) को लेखमाला के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। साप्ताहिक स्तम्भ – सकारात्मक सपने के अंतर्गत आज अगली कड़ी में प्रस्तुत है “कागज जलाना मतलब पेड़ जलाना ” ।  इस लेखमाला की कड़ियाँ आप प्रत्येक सोमवार को पढ़ सकेंगे।)  

 

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☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सकारात्मक सपने  # 17 ☆

 

☆ कागज जलाना मतलब पेड़ जलाना ☆

 

स्कूलों में, कार्यालयों में प्रतिदिन ढ़ेरों कागज साफ सफाई के नाम पर जला दिया जाता है……. कभी आपने जाना है कि कागज कैसे बनता है ? जब हम यह समझेंगे कि कागज कैसे बनता है, तो हम सहज ही समझ जायेंगे कि एक कागज जलाने का मतलब है कि हमने एक हरे पेड़ की एक डगाल जला दी.रद्दी  कागज को रिसाइक्लिंग के द्वारा पुनः नया कागज बनाया जा सकता है और इस तरह जंगल को कटने से बचाया जा सकता है.

हमारे देश में जो पेपर रिसाइक्लिंग प्लांट हैं, जैसे खटीमा, उत्तराखण्ड में वहां रिसाइक्लिंग हेतु रद्दी कागज अमेरिका से आयात किया जाता है. दूसरी ओर हम सफाई के नाम पर जगह जगह रोज ढ़ेरो कागज जलाकर प्रदूषण फैलाते हैं.

अखबार वाले, अपने ग्राहकों को समय समय पर तरह तरह के उपहार देते हैं. क्या ही अच्छा हो कि अखबार की रद्दी हाकर के ही माध्यम से प्रतिमाह वापस खरीदने का अभियान भी अखबार वाले चलाने लगें और इसका उपयोग रिसाइक्लिंग हेतु किया जावे. अभियान चलाकर स्कूलो, अदालतो, अखबार, पत्र पत्रिकाओ को व अन्य संस्थाओ को  रद्दी कागज को जलाने की अपेक्षा कागज बनाकर पुनर्उपयोग करने के लिये प्रोत्साहित करने के प्रयास होने चाहिये. ई बुक्स व पेपर लैस कार्यालय प्रणाली को अधिकाधिक प्रोत्साहन दिये जाने की भी जरूरत है.  इससे जंगल भी कटने से बचेंगे.

 

© अनुभा श्रीवास्तव