हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ – ☆ जय प्रकाश पाण्डेय का सार्थक साहित्य # 14 – माइक्रो व्यंग्य – फूलमाला और फोटो ☆ – श्री जय प्रकाश पाण्डेय

श्री जय प्रकाश पाण्डेय

 

(श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी   की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके  व्यंग्य रचनाओं पर स्व. हरीशंकर परसाईं जी के साहित्य का असर देखने को मिलता है। परसाईं जी का सानिध्य उनके जीवन के अविस्मरणीय अनमोल क्षणों में से हैं, जिन्हें उन्होने अपने हृदय  एवं  साहित्य में  सँजो रखा है । प्रस्तुत है साप्ताहिक स्तम्भ की  अगली कड़ी में उनका  “माइक्रो व्यंग्य – फूलमाला और फोटो” आप प्रत्येक सोमवार उनके  साहित्य की विभिन्न विधाओं की रचना पढ़ सकेंगे।)

☆ जय प्रकाश पाण्डेय का सार्थक साहित्य # 14 ☆

 

☆ माइक्रो व्यंग्य – फूलमाला और फोटो  

 

साहित्यकार –  वाटस्अप, फेसबुक, ट्विटर पर रात में उपस्थित मित्रों को सूचना देना चाहता हूँ कि आज दिन को  साहित्य संस्थान की  काव्य गोष्ठी हुई, जिसमें अनेकानेक महिलाओं को सम्मान दिया गया, साथ ही आसपास के शहर की साहित्य संस्थाओं के अध्यक्ष व संस्थापकों को तिलक लगाकर तथा फूलमाला पहनाकर सम्मानित किया गया। मुझे भी सम्मानित किया गया है। माइक के साथ मंच पर प्रूफ के रुप में मेरी तस्वीर है जिन्हें विश्वास न हो वे तस्वीर देख सकते हैं कि मंच भी है और माइक भी है और इत्ती सी बात के लिए मैं झूठ क्यों बोलूंगा, हालांकि मुझे अभी तक 8999 सम्मान मिल चुके हैं। कैसे मिले हैं आप खुद समझदार हैं।

संस्था मुखिया –  तुम्हें कब सम्मानित किया गया ? मै तो वहीं थी ।कार्यक्रम की समाप्ति पर आप खाली मंच पर माइक लेकर फोटो खिंचवा रहे थे ।कार्यक्रम मे संचालन मेरा था। झूठमूठ का साहित्यकार बनना चाहता है। सोशल मीडिया में झूठमूठ की अपनी पब्लिसिटी करता है। शाल और श्रीफल लिए किसी से भी फोटो खिंचवाता फिरता है इसलिए बेटा तेरी घरवाली तुझसे बदला ले रही है। सबकी बीबी तीजा का उपवास रखतीं हैं, पर तेरी बीबी तीजा का उपवास नहीं रखती। सच में किसी ने सही लिखा है कि इस रंग बदलती दुनिया में इंसानों की नीयत ठीक नहीं।

साहित्यकार – मैं झूठ क्यों बोलूंगा…? अपनी संस्था के मालिक ने मंच से एलांऊस कर बुलाया था। टीका लगाकर फूल माला पहनाकर मंच में सम्मानित किया था। आप शायद कही खाना खा रही थी या टायलेट में मेकअप कर रही होगीं। श्याम जी, नयन जी और मुझे शायद गुप्ता जी और बेधड़क जी ने भी फूल माला पहनाकर सम्मानित किया था, और कई लोगों ने भी माला पहनाई थी उनके नाम याद नहीं है क्योंकि उस समय मैं इतना गदगद हो गया था कि होश गवां बैठा था। और तू कौन सी दूध की धुली है…? सबको मालूम है ।

 

© जय प्रकाश पाण्डेय

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