श्री श्याम खापर्डे
(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता “# जीवन का कटु सत्य #”)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 56 ☆
☆ # जीवन का कटु सत्य # ☆
कभी कभी जीवन में ऐसे
मोड़ आते हैं
कभी कभी राह में
अपने भी छोड़ जाते हैं
दरक जाते है रिश्ते
छोटी सी बात पर
कभी कभी खून के रिश्ते भी
लोग तोड़ जाते हैं
बड़ा अजीब है
रिश्तों का यह सफ़र
कहीं खुशी तो
कहीं बरप रहा है कहर
गले मिलके भी
लोग देते है गहरे घाव
घाव भरते भरते
समय जाता है ठहर
समय के साथ
जो व्यक्ति सदा चलता है
जिसके दिल में
दया, करूणा, प्रेम
सदा पलता है
वो पार कर जाता है
जीवन की वैतरणी
उसके जीवन में
सूरज कभी नहीं ढलता है
सूरज जीवन रूपी सत्य का
एक सुनहरा रूप है
घनघोर अंधेरे में भी
खिलती हुई धूप है
पाखंडी घूम रहे हैं
लगा के मुखौटे
सत्य के आगे
वे सारे चुप हैं
कभी कभी बेखौफ धाराओं को भी
रूकना पड़ता है
मन में चोर हो तो
उन्हें छुपना पड़ता है
अहंकार, घमंड का
जिन्होंने पहना हो लिबास
उन्हें भी जांबाजों के आगे
सदा झुकना पड़ता है
© श्याम खापर्डे
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