हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कोहरे के आँचल से # 7 ☆ अब कहाँ है रास्ता? ☆ – सौ. सुजाता काळे
सौ. सुजाता काळे
(सौ. सुजाता काळे जी मराठी एवं हिन्दी की काव्य एवं गद्य विधा की सशक्त हस्ताक्षर हैं । वे महाराष्ट्र के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल कोहरे के आँचल – पंचगनी से ताल्लुक रखती हैं। उनके साहित्य में मानवीय संवेदनाओं के साथ प्रकृतिक सौन्दर्य की छवि स्पष्ट दिखाई देती है। आज प्रस्तुत है सौ. सुजाता काळे जी की एक भावप्रवण कविता ‘अब कहाँ है रास्ता?’।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कोहरे के आँचल से # 8 ☆
☆ अब कहाँ है रास्ता?☆
अमन के नाम पर झगड़े होते हैं
खून -खराबे, आगजनी, मारकाट होती है
इन्सा का इन्सा से नहीँ रहा वास्ता
अब कहाँ है रास्ता?
दिन में गलबाँहें डालते हैं दोस्त जो
पीठ में खंज़र वे ही चुभाते हैं
दोस्तों का दोस्तों से मिट गया है राब्ता
अब कहाँ है रास्ता?
आज़ाद देश में नारी पर होता अत्याचार है
मासूम सी कलियों को ये ही कुचलते हैं
नारी के जीवन की करूण है दास्ताँ
अब कहाँ है रास्ता?
© सौ. सुजाता काळे
पंचगनी, महाराष्ट्र।
9975577684