श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
(सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी अर्ध शताधिक अलंकरणों /सम्मानों से अलंकृत/सम्मानित हैं। आपकी लघुकथा “रात का चौकीदार” महाराष्ट्र शासन के शैक्षणिक पाठ्यक्रम कक्षा 9वीं की “हिंदी लोक भारती” पाठ्यपुस्तक में सम्मिलित। आप हमारे प्रबुद्ध पाठकों के साथ समय-समय पर अपनी अप्रतिम रचनाएँ साझा करते रहते हैं। आज प्रस्तुत हैं एक अतिसुन्दर विचारणीय कविता “तुमको भी कुछ सूत्र सिखा दें….…..”। )
☆ तन्मय साहित्य #111 ☆
☆ कविता – तुमको भी कुछ सूत्र सिखा दें….…..☆
अपना यशोगान करना
पहचान हमारी
आओ तुमको भी अचूक
कुछ सूत्र सिखा दें।
थोड़े से गंभीर
मुस्कुराहट महीन सी
संबोधन में भ्रातृभाव
ज्यों नीति चीन की
हो शतरंजी चाल
स्वयं राजा, खुद प्यादे
आओ तुमको भी अचूक
कुछ सूत्र सिखा दें।।
हो निशंक, अद्वैत भाव
मैं – मैं उच्चारें
दिनकर बनें स्वयं
सब शेष पराश्रित तारे,
फूकें मंत्र, गुरुत्व भेद
शिष्यत्व लिखा दें
आओ तुमको भी अचूक
कुछ सूत्र सिखा दें।।
बुद्ध, प्रबुद्ध, शुद्धता के
हम हैं पैमाने
नतमस्तक सम्मान
कई बैठे पैतानें,
सिरहाना,सदियों का सब
भवितव्य बता दे
आओ तुमको भी अचूक
कुछ सूत्र सिखा दें।।
हों विचार वैविध्य, साधते
सभी विधाएँ
अध्ययन, चिंतन, मनन
व्यर्थ की ये चिंताएँ
जो मन आये लिखें और
मंचों पर बाँचें
आओ तुमको भी अचूक
कुछ सूत्र सिखा दें।।
© सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
जबलपुर/भोपाल, मध्यप्रदेश, अलीगढ उत्तरप्रदेश
मो. 9893266014
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈