श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”
(सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश” जी का हिन्दी बाल -साहित्य एवं हिन्दी साहित्य की अन्य विधाओं में विशिष्ट योगदान हैं। साप्ताहिक स्तम्भ “श्री ओमप्रकाश जी का साहित्य” के अंतर्गत उनकी मानवीय दृष्टिकोण से परिपूर्ण लघुकथाएं आप प्रत्येक गुरुवार को पढ़ सकते हैं। आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय लघुकथा “पीढ़ी का अंतर”।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – श्री ओमप्रकाश जी का साहित्य # 99 ☆
☆ लघुकथा — पीढ़ी का अंतर ☆
” भाई ! तुझ में क्या है? भावों के वर्णन के साथ अंतिम पंक्तियों में चिंतन की उद्वेलना ही तो है, ” लघुकथा की नई पुस्तक ने कहा।
” और तेरे पास क्या है?” पुरानी पुस्तक अपने जर्जर पन्नों को संभालते हुए बोली, ” केवल संवाद के साथ अंत में कसा हुआ तंज ही तो है।”
” हूं! यह तो अपनी-अपनी सोच है।”
तभी, कभी से चुप बैठे लघुकथा के पन्ने ने उन्हें रोकते हुए कहा, ” भाई! आपस में क्यों झगड़ते हो? यह तो समय, चिंतन और भावों का फेर है। यह हमेशा रहा है और रहेगा।
” बस, अपना नजरिया बदल लो। आखिर हो तो लघुकथा ही ना।”
सुनकर दोनों पुस्तकें विचारमग्न हो गई।
© ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”
13-03-2021
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उत्कृष्ट सारगर्भित प्रस्तुति बधाई अभिनंदन अभिवादन आदरणीय श्री आप का