श्री श्याम खापर्डे 

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता “# लोग कुछ तो कहेंगे #”) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 59 ☆

☆ # लोग कुछ तो कहेंगे # ☆ 

छोड़ो कल की बातें

वो बीती हुई रातें

सुनहरी किरणों को देखो

अब स्याह चोला

उखाड़ फेंको

लोगों का क्या है

लोग कुछ तो कहेंगे ?

 

यह असमानता की गहराई

कहीं पहाड़ तो कहीं खाई

यह परेशान से चेहरे

हर सूरत है कुम्हलाई

यह पिटे पिटे लोग

क्यों सब सहेंगे?

लोगों का क्या है

लोग कुछ तो कहेंगे ?

 

यह भ्रूण की हत्यायें

जलती हुई महिलाएं

लुटती हुई अस्मत

दरिंदों से कैसे बचाएं

मायूस खोयी खोयी आंखों से

क्यों आँसू बहेंगे ?

लोगों क्या है —-?

 

कहीं कहीं प्रेम आजाद है

कहीं कहीं पंचायतों का राज है

कहीं कहीं है फूलों पर बंदिशे  

कहीं कहीं कांटे बनें सरताज है

प्रेम पर बने

रूढीयोंके किल्ले

क्यों नहीं ढहेंगें ?

लोग कुछ तो कहेंगे—?

 

लोकतंत्र मजबूती से खड़ा है

अपने सिद्धांतों पर

निर्भीक अड़ा है

छल कपट से गुमराह करते

लोगों को देख

बेजान-सा लहुलुहान पड़ा है

न्याय का सरकारीकरण देख

क्यों चुप रहेंगे?

लोगों का क्या है

लोग कुछ तो कहेंगे ?

 

© श्याम खापर्डे 

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

5 1 vote
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments