श्री जय प्रकाश पाण्डेय
(श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके व्यंग्य रचनाओं पर स्व. हरीशंकर परसाईं जी के साहित्य का असर देखने को मिलता है। परसाईं जी का सानिध्य उनके जीवन के अविस्मरणीय अनमोल क्षणों में से हैं, जिन्हें उन्होने अपने हृदय एवं साहित्य में सँजो रखा है।आज प्रस्तुत है आपका एक माइक्रो व्यंग्य ‘हेकिंग का लफड़ा’)
☆ माइक्रो व्यंग्य – हेकिंग का लफड़ा ☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆
-पहले तो आप खूब लिखा करते थे, आजकल क्या डाउनफॉल चल रहा है? या लिखने के लिए विषय नहीं मिल रहे हैं ?
– जी ऐसी बात नहीं है, वो क्या है कि आजकल हेकिंग का जमाना चल रहा है, जिस विषय पर लिखने के लिए दिमाग में उथल-पुथल मची रहती है वही दूसरे दिन किसी और के नाम पर अखबार में छपा दिख जाता है।
हेकिंग का जमाना है साब, सोचते हम हैं और कोई हेक करके अपने नाम से छपवा लेता है। इसलिए कोई व्यंग्य, कविता, कहानी कहीं भी पढ़ने मिले, तो ये मानकर चलना कि मूल सोच हमारी ही है, हम उस पर अच्छा लिखना चाहते थे, और सोच विचार कर रहे थे तब तक किसी ने हमारा दिमाग हेक कर लिया, और अपने नाम से रचना छपवा ली।
© जय प्रकाश पाण्डेय
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