श्री श्याम खापर्डे
(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता “# नववर्ष 2022 #”)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 61 ☆
☆ # नववर्ष 2022 # ☆
बीत गया फिर एक साल
सूर्य चमका अंबर के भाल
गुन गुन हवायें बहनें लगी
मधुर तराने कहने लगी
ओस की बूंदें चमकने लगी
चंचल चिड़िया चहकने लगी
कलियां कलियां महकने लगी
सुगंध से सृष्टि बहकने लगी
पनघट पर चल रही सीना जोरी
भीग गई है नाजुक गोरी
आगमन मे कैसा यह संजोग
रात भर जागते दुनिया के लोग
सुख, शांति, समृद्धि हो सबके घर
यह पर्व मनाते रहे हम वर्ष भर
भूल जाइए वो काली रातें
दुखों से भरी पीड़ादायक बातें
अपनों से बिछड़ने का गम
आंखों में छिपे आंसू हरदम
खंडहर बने वो आशियाने
उजड़ने का दर्द वो ही जाने
बस रही वीरान बस्तियां
हर्षित हैं जीवन में डूबी हस्तियां
खुशियों का सूरज चमक रहा है
हर चेहरा आभा से दमक रहा है
कलियाँ चटकने लगीं घर घर
कम होने लगा छुपा हुआ डर
बड़ी रंगीन है इस सुबह की लाली
छुप गई वो स्याह रात काली
रंगीन परिधान लहरा रहे है
खुशियों का परचम फहरा रहे है
तोड़ डालिए रूढ़िवादी आडंबर
ईर्ष्या, द्वैष, नफरत का यह ज़हर
फूलों की तरह सब मुस्कराईये
उपवन को अपने स्वर्ग बनाईये
कुछ पल का हैं यह खुशीयों का प्रहर
शायद आने वाली है नयी नयी लहर
इसलिए आज इसी पल
खुशियां मनायेंगे
कल की चिंता छोड़िए
नववर्ष के गीत गुनगुनाइये /
© श्याम खापर्डे
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