श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
(सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी अर्ध शताधिक अलंकरणों /सम्मानों से अलंकृत/सम्मानित हैं। आपकी लघुकथा “रात का चौकीदार” महाराष्ट्र शासन के शैक्षणिक पाठ्यक्रम कक्षा 9वीं की “हिंदी लोक भारती” पाठ्यपुस्तक में सम्मिलित। आप हमारे प्रबुद्ध पाठकों के साथ समय-समय पर अपनी अप्रतिम रचनाएँ साझा करते रहते हैं। आज प्रस्तुत हैं नववर्ष पर एक विचारणीय गीतिका “नव वर्ष अभिनंदन…”।)
☆ तन्मय साहित्य #114 ☆
☆ नव वर्ष अभिनंदन… ☆
करें हम नए वर्ष की बात
उजालों की होगी सौगात
पुराने अनुभव होंगे साथ
चलो! हम मिलकर साथ चलें
ले हाथों में हाथ,
प्रेम से आओ गले मिले।
आशाओं के दीप जलाएं, खुशियां सब पाएं
मधुर छंद, गीतों के संग, नूतन अभिलाषाएं
नई किरण के साथ, सोच चिंतन हो नया नया
सीख, पुरातन से लें, त्रुटियां पुनः न दुहरायें,
नहीं फिर हो जीवन मे हार
भाई-चारे की बहे बयार
करे सब एक-दूजे से प्यार
विजयरथ आगे सदा चले
सीढ़ी उन्हें बना लें
पथ हो चाहे पथरीले,
प्रेम से आओ गले मिलें।।………
स्वागत हँस कर करें समय के, नवपरिवर्तन का
अभिनंदन मन से, प्रकृति के मोहक नर्तन का
मौसम सुख-दुख के आये, मुरझाये कभी न हम
जीवन एक तपस्या, विधि के पूजन अर्चन का,
रहे अंतर में, सात्विक भाव
स्वच्छ परिवेश, नगर अरु गांव
हरित पेड़ों की शीतल छांव
प्रदूषण से शिकवे गीले
पर्यावरण विशुद्ध, सभी
हम होंगे, खिले खिले,
प्रेम से आओ गले मिलें।।………
जातिवाद और धर्म पंथ के, भेद मिटे सारे
सम्यक दर्शन, समभावो के, फैले उजियारे
नया वर्ष-उत्कर्ष, हर्ष, संकल्प, सुखद होंगे
घर आँगन में खुशियों के, चमके चंदा-तारे,
करें इक – दूजे का सम्मान
सभी के अधरों पर मुस्कान
सुलभ हो सब को अक्षरज्ञान
न कोई पथ में हमें छले
जीतेंगे निश्चित ही
संघर्षों के सभी किले,
प्रेम से आओ गले मिले।।……….
© सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
जबलपुर/भोपाल, मध्यप्रदेश, अलीगढ उत्तरप्रदेश
मो. 9893266014
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈