श्री संतोष नेमा “संतोष”

(आदरणीय श्री संतोष नेमा जी  कवितायें, व्यंग्य, गजल, दोहे, मुक्तक आदि विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं. धार्मिक एवं सामाजिक संस्कार आपको विरासत में मिले हैं. आपके पिताजी स्वर्गीय देवी चरण नेमा जी ने कई भजन और आरतियाँ लिखीं थीं, जिनका प्रकाशन भी हुआ है. आप डाक विभाग से सेवानिवृत्त हैं. आपकी रचनाएँ राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशित होती रहती हैं। आप  कई सम्मानों / पुरस्कारों से सम्मानित/अलंकृत हैं.  “साप्ताहिक स्तम्भ – इंद्रधनुष” की अगली कड़ी में प्रस्तुत हैं  एक भावप्रवण  रचना “वीणा के नव-नव तारों से …. । आप श्री संतोष नेमा जी  की रचनाएँ प्रत्येक शुक्रवार आत्मसात कर सकते हैं।)

☆ साहित्यिक स्तम्भ – इंद्रधनुष # 103 ☆

☆ वीणा के नव-नव तारों से …. 

शिकारी  अब जाल  बदलेगा

अब फिर नया साल बदलेगा

 

सूरज    लाता    नया   सबेरा

चँदा   अपनी   चाल  बदलेगा

 

मौसम   भी    लेगा  अंगड़ाई

पंचांग   का    काल   बदलेगा

 

वीणा   के नव-नव  तारों   से

अब  नया   सुरताल  बदलेगा

 

नया    आलम    नई    पुरवाई

नव   बरस अब  हाल  बदलेगा

 

नई    उमंगें     नई         तरंगें

अब  पिछले  सवाल  बदलेगा

 

डरायेगा   फिर  नए रूप    में

कोरोना  अब ख्याल  बदलेगा

 

मुश्किलें   दूर  हों   बाईस   में 

लिखा  भाग्य -भाल   बदलेगा

 

हो “संतोष” खुशियाँ हर तरफ

नव   वर्ष   बेमिसाल  बदलेगा

 

© संतोष  कुमार नेमा “संतोष”

सर्वाधिकार सुरक्षित

आलोकनगर, जबलपुर (म. प्र.) मो 9300101799
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈
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Sarita Agnihotri

बहुत सुंदर संतोष जी आशा तो यही करते हैं वायरस के भय से निकल सके वह भी सावधानीपूर्वक