डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं “भावना के दोहे”। )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 114 – साहित्य निकुंज ☆
☆ भावना के दोहे ☆
ठंड बहुत है आज तो, है अँगीठी पास।
आती प्रिय की याद है,जगती मन में आस।।
नहीं पेट की गड़बड़ी,नहीं दर्द का नाम।
पानी पीना कुनकुना, देता है आराम।।
सबके कर्मो का यहीं, होने लगा हिसाब।
आँच कभी आए नहीं, दे दो सही जवाब।।
सूरज तो निकला नहीं, कैसे निकले धूप।
मौसम बिगड़ा दिख रहा, लगता दृश्य अनूप।।
कृषक कुहासा देखकर, हो जाता हैरान।
उसको फसलों में हुआ, बहुत बड़ा नुकसान।।
© डॉ.भावना शुक्ल
सहसंपादक…प्राची
प्रतीक लॉरेल , C 904, नोएडा सेक्टर – 120, नोएडा (यू.पी )- 201307
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
शानदार