श्रीमती  सिद्धेश्वरी सराफ ‘शीलू’

(संस्कारधानी जबलपुर की श्रीमति सिद्धेश्वरी सराफ ‘शीलू’ जी की लघुकथाओं, कविता /गीत का अपना संसार है। । साप्ताहिक स्तम्भ – श्रीमति सिद्धेश्वरी जी का साहित्य  शृंखला में आज प्रस्तुत है स्त्री विमर्श पर आधारित विचारणीय लघुकथा  “हिस्सेदारी”। इस विचारणीय रचनाके लिए श्रीमति सिद्धेश्वरी सराफ जी की लेखनी को सादर नमन।) 

☆ श्रीमति सिद्धेश्वरी जी  का साहित्य # 110 ☆

? लघुकथा – हिस्सेदारी ?

ट्रेन अपनी रफ्तार से चली जा रही थी। रिटायर्ड अध्यापक और उनकी पत्नी अपनी अपनी सीट पर आराम कर रहे थे। तभी टी टी ने  आवाज़… लगाई टिकट प्लीज रानू ने तुरंत मोबाइल आन कर टिकट दिखाई और कहीं जरा धीरे मम्मी पापा को अभी अभी नींद लगी है तबीयत खराब है मैं उनकी बेटी यह रहा टिकट।

टिकट चेकिंग कर वह सिर हिलाया अपना काम किया  चलता बना।

अध्यापक की आंखों से आंसू की धार बहने लगी। बरसों पहले इसी ट्रेन पर एक गरीब सी झाड़ू लगाने वाली बच्ची को दया दिखाते हुए उन्होंने उस के पढ़ने लिखने और उसकी सारी जिम्मेदारी ली थी विधिवत कानूनी तौर से।

पत्नी ने तक गुस्से से कहा था… देखना ये तुम जो कर रहे हो हमारे बेटे के लिए हिस्सेदारी बनेगी। आजकल का जमाना अच्छा नहीं है।

मैं कहे देती हूं इसे घर में रखने की या घर में लाने की जरूरत नहीं है।

अध्यापक महोदय उसको हॉस्टल में रखकर पूरी निगरानी किया करते। तीज त्यौहारों पर घर का खाना भी देकर आया करते थे।

समय पंख लगा कर निकला।बेटे हर्ष ने बड़े होने पर  अपनी मनपसंद की लडकी से शादी कर लिया। बहू के  आने के बाद घर का माहौल बदलने लगा बहू ने दोनों को घर का कुछ कचरा समझना शुरु कर दिया। दोनों अच्छी कंपनी में जॉब करते थे।

रोज रोज की किट किट से तंग होकर बहु कहने लगी घर पर या ये दोनों रहेंगे या फिर मैं।

रिटायर्ड आदमी अपनी पत्नी को लेकर निकल जाना ही उचित समझ लिया। और आज घर से बाहर निकले ही रहे थे कि सामने से बिटिया आती नजर आई।

चरणों पर शीश नवा कर कहा…मुझे माफ कर दीजिएगा पिताजी आने में जरा देर हो गई। चलिए अब हम सब एक साथ रहेंगे। माँ का पल्लू संभालते हुए  बिटिया ने कहा… बरसो हो गए मुझे माँ के हाथ का खाना नहीं मिला है। अब रोज मिलेगा। मुझे एक अच्छी सी जाब मिल गई हैं।

माँ अपनी कहीं बात से शर्मिंदा थी। यह बात अध्यापक महोदय समझ रहे थे। हंस कर बस इतना ही कहें.. अब समझ में आया भाग्यवान हिस्सेदारी में किसको क्या मिला।

© श्रीमति सिद्धेश्वरी सराफ ‘शीलू’

जबलपुर, मध्य प्रदेश

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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