श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
(सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी अर्ध शताधिक अलंकरणों /सम्मानों से अलंकृत/सम्मानित हैं। आपकी लघुकथा “रात का चौकीदार” महाराष्ट्र शासन के शैक्षणिक पाठ्यक्रम कक्षा 9वीं की “हिंदी लोक भारती” पाठ्यपुस्तक में सम्मिलित। आप हमारे प्रबुद्ध पाठकों के साथ समय-समय पर अपनी अप्रतिम रचनाएँ साझा करते रहते हैं। आज प्रस्तुत हैं एक भावप्रवण कविता “मैं भारत हूँ…..”।)
☆ तन्मय साहित्य #117 ☆
?? गणतंत्र दिवस विशेष – मैं भारत हूँ….. ??
मैं हूँ भारत देश, अहिंसा मेरा नारा।
प्रेम शांति सद्भावों की, बहती जलधारा।।
सत्य सनातन धर्म-कर्म के स्रोत यहाँ है
भेदभाव नहीं जाति पंथ में, द्वेष यहाँ है
हिंदू-मुस्लिम, बौद्ध, पारसी और ईसाई,
सब के अंतर में समतामय, बोध यहाँ है।
क्षमताओं में ममतामय कौशल बल निर्मल
सर्वे भवन्तु सुखिनः, मूलमंत्र यह प्यारा।
मैं हूँ भारत देश, अहिंसा मेरा नारा
अलग-अलग भाषा बोली के कंठ सुरीले
सबसे ऊपर हिंदी, इसके बोल रसीले
गंगा, यमुना और नर्मदा पुण्य दायिनी
पाप मिटे जो इनका जल श्रद्धा से पी ले,
ज्ञान ध्यान साधना नियम संयम है मुझमें
इंद्रधनुष सतरंगा ये गुलशन अति प्यारा।
मैं हूँ भारत देश, अहिंसा मेरा नारा।।
मैं शांति का उदघोषक सब जीव अभय हो
हूँ क्रांति का पोषक, अपनी सदा विजय हो
“वसुधैव कुटुंबकम” का संदेश हमारा,
चाह, विश्व में भ्रातृभाव की, मधुरिम लय हो
पराक्रमी पुरुषत्व, उमंगित जन-मन मेरा
सकल विश्व में हूँ, समज्योतिर्मय ध्रुव तारा।
मैं हूँ भारत देश अहिंसा मेरा नारा।।
© सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
जबलपुर/भोपाल, मध्यप्रदेश, अलीगढ उत्तरप्रदेश
मो. 9893266014
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈