श्री श्याम खापर्डे
(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता “# सर्द मौसम #”)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 65 ☆
☆ # संविधान दिवस # ☆
सबकी आंख का सपना है
वो महान कितना है
सबके दिल की है धड़कन
संविधान जो अपना है
वर्षों की मेहनत है
तपस्या है इबादत है
हर किसी को न्याय मिले
सबके लिए तर्क़ संगत है
कोई ना रहे वंचित
कोई ना रहे शोषित
सबके आंख का काजल बने
कोई ना रहे उपेक्षित
सारी दुनिया में सम्मान है
कितना लचीला संविधान है
कितने टूटकर बिखर गए
अमर इसकी शान है
कुछ सिरफिरे कहते है इसे बदलेंगे
अपनी चालें चलकर इसे जकड़ेंगे
अपने विचारों को थोपकर
फिर पुरानी राह पकड़ेंगे
फिर जनता में ऐसा सैलाब आयेगा
जो सब कुछ बहाकर ले जायेगा
मिट जायेंगे सब पाखंडी
कोई नाम लेने वाला
नहीं रह जायेगा
आओ हम संविधान बचायें
इसको बचाने अपनी जान लगायें
बहिष्कार करो
इन विचारधाराओं का
संविधान से बना,
गणतंत्र दिवस मनाये /
© श्याम खापर्डे
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