(प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ जी के साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक साहित्य ” में हम श्री विवेक जी की चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं। श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र जी, मुख्यअभियंता सिविल (म प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी , जबलपुर ) से सेवानिवृत्त हैं। तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ ही उन्हें साहित्यिक अभिरुचि विरासत में मिली है। आपको वैचारिक व सामाजिक लेखन हेतु अनेक पुरस्कारो से सम्मानित किया जा चुका है। )
आज प्रस्तुत है ई-अभिव्यक्ति के अनुरोध पर दो दो बातें… शीर्षक से श्री विवेक जी का आत्मसंवाद के माध्यम से दो टूक बातें।
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक सहित्य # 143 ☆
आत्मसंवाद – दो दो बातें…
दो बातें जो एक लेखक की सृजनशीलता के लिए ज़रूरी हैं ?
..व्यापक सोच
और अभिव्यक्ति की क्षमता.
दो बातें जो एक सफल व्यंग्यकार में होनी चाहिये ?
..सूक्ष्म दृष्टि
और न्यूनतम शब्दों में चुटीला कहने का कौशल.
आपकी व्यंग्य लेखन यात्रा की दो सर्वाधिक महत्वपूर्ण उपलब्धियां?
..पहली ही किताब “कौआ कान ले गया” को राष्ट्रीय दिव्य अलंकरण
और नई किताब “समस्या का पंजीकरण” पर पद्मश्री डा ज्ञान चतुर्वेदी की भूमिका , डा सूर्यबाला , डा प्रेम जनमेजय , डा आलोक पौराणिक , डा गिरीश पंकज , श्री बी एल आच्छा की सम्मतियां व समकालीन व्यंग्यकारो की टिप्पणियां.
आपकी लिखी दो पुस्तकें जिनसे आपको एक लेखक के रूप में नई पहचान मिली ?
..कविता संग्रह “आक्रोश”
तथा नाटक संग्रह “हिंदोस्ता हमारा “.
दो चुनौतियां जो एक अभियंता के प्रोफेशनल कैरियर में हमेशा रहती हैं?
..परिस्थिति के अनुसार आन द स्पाट निर्णय लेने की योग्यता ,
व अपनी टीम को उत्साह जनक तरीके से साथ लेकर चलने की क्षमता.
एक अभियंता के रूप में आपके जीवन के दो गौरवमयी पल?
..परमाणु बिजली घर चुटका जिला मण्डला जो अब निर्माणाधीन है का स्थल चयन से सर्वे का सारा कार्य ,
और अटल ज्योति योजना के जरिये म. प्र. में फीडर विभक्तिकरण में महत्वपूर्ण कार्य.
दो संदेश जो आज के हाई टेक युवा अभियंताओं को देना चाहते हैं?
..जल्दबाजी से बचें
एवं बड़े लक्ष्य बनाकर निरंतर सक्रियता से कार्य करें.
आपके संघर्ष के दिनों के दो साथी जिन्होंने हमेशा आपका साथ दिया?
.. मेरी पत्नी कल्पना
तथा मेरी स्वयं की इच्छा शक्ति.
अपने जीवन के दो निर्णय जिन पर आपको गर्व है?
.. केवल अभियंता के रूप में सिमट कर रह जाने की जगह लेखन को समानांतर कैरियर बनाना
एवं बच्चों को उन्मुक्त वैश्विक शिक्षा के अवसर देना.
दो बातें जिनसे आप प्रभावित होते हैं ?
.. विनम्र व्यवहार
तथा तार्किक ज्ञान.
दो जीवनमूल्य जो आपको अपने माता पिता से मिले हैं?
.. जो पावे संतोष धन सब धन धूरि समान ,
तथा परिस्थिति जन्य तात्कालिक श्रेष्ठ निर्णय लेना फिर उस पर पछतावा नहीं करना.
अपनी जीवनसंगिनी के व्यक्तित्व की दो विशेषताएँ को उनको खास बनाती हैं?
.. कठिन परिस्थितियों में भी विचलित न होकर अधिकतम नुकसान के लिये मानसिक रूप से तैयार होकर धैर्य बनाये रखना ,
आर्थिक प्रलोभन या नुकसान से प्रभावित न होना एवं अपनो पर पूरा भरोसा करना.
दो बातें जो आपको नाराज़ करती हैं?
..चीटिंग से घृणा है
और झूठ से गुस्सा आता है.
दो शख्सियतें जिनसे आपको हमेशा प्रेरणा मिलती है ?
..भगवान कृष्ण , मुश्किल परिस्थिति में सोचता हूं भगवान कृष्ण ऐसे समय क्या करते ?
और मेरी माँ के प्रगतिशील जीवन से मुझे सदा प्रेरणा मिलती है.
दो बातें जिनमे आप विश्वास करते हैं ?
.. मेहनत कभी बेकार नही जाती ,
संबंध वे काम कर सकते हैं जो रुपये नही कर सकते.
दो बातें जो आपको हिंदी भाषा में सर्वश्रेष्ठ लगती हैं ?
.. आत्मीयता बोध से भरी हुई सहज सरल है ,
कम से कम शब्दों में बडी बात कहने में सक्षम है.
दो बातें जो आप अपने आलोचकों से कहना चाहते हैं?
.. आलोचना करने से पहले मुझसे सीधी बात कीजीये आप जान जायेंगे कि मैं गलत नही ,
आलोचना करना सबसे सरल है, उन्हीं स्तिथियों में बेहतर कर पाना कठिन.
दो सीख जो अच्छे स्वास्थ्य के लिए कोरोना ने विश्व को दी हैं ?
.. धन से स्वास्थ्य सदा बड़ा होता है ,
हर पल का जीवन भरपूर जियें, जीवन क्षण भंगुर है.
जीवन में सफलता के दो मूल मंत्र ?
.. सचाई ,
तथा टैक्टफुलनेस.
दो अवार्ड जिन पर आपको गर्व है ?
..सोशल राइटिंग के लिये राज्यपाल श्री भाई महावीर के हाथो मिला रेड एण्ड व्हाईट ब्रेवरी अवार्ड
और म प्र साहित्य अकादमी से मिला हरिकृष्ण प्रेमी सम्मान .
दो लक्ष्य जो आप जीवन में हासिल करना चाहते हैं ?
..कुछ शाश्वत लेखन
व निश्चिंत विश्व भ्रमण
मध्यप्रदेश के दो पर्यटन स्थल जो आपको आकर्षित करते हैं?
..नर्मदा का उद्गम अमरकंटक ,
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान
© विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’
मो ७०००३७५७९८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈