श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
(सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी अर्ध शताधिक अलंकरणों /सम्मानों से अलंकृत/सम्मानित हैं। आपकी लघुकथा “रात का चौकीदार” महाराष्ट्र शासन के शैक्षणिक पाठ्यक्रम कक्षा 9वीं की “हिंदी लोक भारती” पाठ्यपुस्तक में सम्मिलित। आप हमारे प्रबुद्ध पाठकों के साथ समय-समय पर अपनी अप्रतिम रचनाएँ साझा करते रहते हैं। आज नर्मदा जयंती के पुनीत अवसर पर प्रस्तुत है गीति-रचना “नर्मदा नर्मदा…..”।)
☆ तन्मय साहित्य #119 ☆
☆ नर्मदा जयंती विशेष – नर्मदा नर्मदा…..☆ श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ ☆
नर्मदा – नर्मदा, मातु श्री नर्मदा
सुंदरम, निर्मलं, मंगलम नर्मदा।
पुण्य उद्गम अमरकंट से है हुआ
हो गए वे अमर,जिनने तुमको छुआ
मात्र दर्शन तेरे पुण्यदायी है माँ
तेरे आशीष हम पर रहे सर्वदा। नर्मदा—–
तेरे हर एक कंकर में, शंकर बसे
तृप्त धरती,हरित खेत फसलें हँसे
नीर जल पान से, माँ के वरदान से
कुलकिनारों पे बिखरी, विविध संपदा। नर्मदा—–
स्नान से ध्यान से,भक्ति गुणगान से
उपनिषद, वेद शास्त्रों के, विज्ञान से
कर के तप साधना तेरे तट पे यहाँ
सिद्ध होते रहे हैं, मनीषी सदा। नर्मदा—–
धर्म ये है हमारा, रखें स्वच्छता
हो प्रदूषण न माँ, दो हमें दक्षता
तेरी पावन छबि को बनाये रखें
ज्योति जन-जन के मन में तू दे माँ जगा। नर्मदा—–
© सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
जबलपुर/भोपाल, मध्यप्रदेश, अलीगढ उत्तरप्रदेश
मो. 9893266014
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈