सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा
(सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा जी सुप्रसिद्ध हिन्दी एवं अङ्ग्रेज़ी की साहित्यकार हैं। आप अंतरराष्ट्रीय / राष्ट्रीय /प्रादेशिक स्तर के कई पुरस्कारों /अलंकरणों से पुरस्कृत /अलंकृत हैं । हम आपकी रचनाओं को अपने पाठकों से साझा करते हुए अत्यंत गौरवान्वित अनुभव कर रहे हैं। सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा जी का काव्य संसार शीर्षक से प्रत्येक मंगलवार को हम उनकी एक कविता आपसे साझा करने का प्रयास करेंगे। आप वर्तमान में एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर (सिस्टम्स) महामेट्रो, पुणे हैं। आपकी प्रिय विधा कवितायें हैं। आज प्रस्तुत है आपकी कविता “खासियत”। )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा जी का काव्य संसार # 11 ☆
उसकी रंगत ऐसी हो
कि उसे देखते ही
आँखें बेजुबाँ हो जाएँ
और उसे निहारती ही रहें…
उसकी ताज़गी ऐसी हो
जैसे गुलनार
अभी-अभी खिला हो
और कायनात को महका रहा हो…
उसकी खुश्बू ऐसी हो
कि अपने आप लोग
उसके पीछे खिंचे चले आयें
जैसे कोई परवाना
शमा को देखकर आ जाता है…
उसका ज़ायका ऐसा हो
कि गले को यूँ सुकूं मिले
कि उसकी कोई ख्वाहिश
बाकी न रह जाए…
चाय,
महज़ चाय नहीं होती
वो तो साथियों को बाँधने वाली
एक अनमोल कड़ी है,
और वो
ख़ास तो होनी ही चाहिए!
© नीलम सक्सेना चंद्रा
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