डॉ. ऋचा शर्मा

(डॉ. ऋचा शर्मा जी को लघुकथा रचना की विधा विरासत में  अवश्य मिली है  किन्तु ,उन्होंने इस विधा को पल्लवित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी । उनकी लघुकथाएं और उनके पात्र हमारे आस पास से ही लिए गए होते हैं , जिन्हें वे वास्तविकता के धरातल पर उतार देने की क्षमता रखती हैं। आप ई-अभिव्यक्ति में  प्रत्येक गुरुवार को उनकी उत्कृष्ट रचनाएँ पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है स्त्री विमर्श पर आधारित एक विचारणीय लघुकथा माँ सी …! ’. डॉ ऋचा शर्मा जी की लेखनी को इस ऐतिहासिक लघुकथा रचने  के लिए सादर नमन।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – संवाद  # 86 ☆

☆ लघुकथा – माँ सी …! ☆

मीना की निगाहें कमला के घर पर ही लगी थीं। दो लडके बडी देर से उसके घर के बाहर चक्कर लगा रहे थे। दूर बैठी वह कमला के घर की चौकसी कर रही थी। कमला जब भी घर से बाहर जाती तो मीना की आँखें उसके घर पर ही लगी रहतीं। आँखें क्या तन मन से मानों वह उसी के घर में होती। कमला की जवान लडकी अकेली है घर में। पंद्रह- सोलह साल की ही होगी पर  अभी से बहुत सुंदर दिखती है, नजर हटती ही नहीं चेहरे से। वह मन ही मन सोच रही थी कि माँएं अपनी बेटियों की सुंदरता से कितनी खुश होती हैं लेकिन हमारे जैसी औरतें बेटी की सुंदरता से सहम जाती हैं।

बाईक पर आए दो लडकों को तांक – झांक करते देख उसने पूछा —

“ऐ – ऐ कहाँ जा रहे हो?”

“तेरा घर है यह? अपने काम से मतलब रख।”

वह तेजी से बोली — “हाँ मेरा ही घर है, अब बोल।”

“कमला बाई की लडकी से काम है।”

“क्या काम है? वही तो पूछ रही हूँ मैं?”

“उसी को बताना है। तू क्यों बीच में टांग अडा रही है?”   

वह कमला के घर का रास्ता रोक, कमर पर हाथ रखकर खडी हो गई- “तू पहले मुझे काम बता।”

“जबर्दस्ती है क्या? क्यों बताएं तुझे? साली धंधेवाली होकर बहुत नाटक कर रही है। चल यार, फिर कभी आएंगे हम।”

बात बढती देख वे दोनों तेजी से बाईक घुमाकर उसे गाली देते हुए वहाँ से चले गए।

“अरे! जब भी आएगा ना तू मीना ऐसे ही दरवाजे पर खडी मिलेगी। तू छू भी नहीं सकता मेरी बच्ची को।”

मीना जोर-जोर से चिल्लाकर बाईक पर पत्थर मारती जा रही थी। आस – पडोसवालों की भीड लग गई थी। वे हतप्रभ थे। मीना बाई की लडकी को तो बहुत पहले गुंडे उठा ले गए थे। ये तो कमला की लडकी है। भीड में खुसपुसाहट शुरू हो गई थी।

मीना आँसू पोंछते हुए बोली – “जानती हूँ मेरी लडकी नहीं है पर बेटी जैसी तो है ना ! अकेली कैसे छोड दूँ उसे?”

 

© डॉ. ऋचा शर्मा

अध्यक्ष – हिंदी विभाग, अहमदनगर कॉलेज, अहमदनगर. – 414001

122/1 अ, सुखकर्ता कॉलोनी, (रेलवे ब्रिज के पास) कायनेटिक चौक, अहमदनगर (महा.) – 414005

e-mail – [email protected]  मोबाईल – 09370288414.

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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