श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
(सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी अर्ध शताधिक अलंकरणों /सम्मानों से अलंकृत/सम्मानित हैं। आपकी लघुकथा “रात का चौकीदार” महाराष्ट्र शासन के शैक्षणिक पाठ्यक्रम कक्षा 9वीं की “हिंदी लोक भारती” पाठ्यपुस्तक में सम्मिलित। आप हमारे प्रबुद्ध पाठकों के साथ समय-समय पर अपनी अप्रतिम रचनाएँ साझा करते रहते हैं। आज प्रस्तुत है एक समसामयिक विषय पर आधारित विचारणीय कविता “बैठे-ठाले – चुनावी चहलकदमी….”।)
☆ तन्मय साहित्य #121 ☆
☆ बैठे-ठाले – चुनावी चहलकदमी…. ☆ श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ ☆
प्रेम की गंगा बहाने आ गए
पंचवर्षीय पुण्य पाने आ गए।
डोर से अब तक बँधे थे
गाँठ उसकी खुल गई
जुड़े थे पूरब से कल तक
हो गए अब पश्चिमी,
डुबकियाँ उस तट लगा
इस तट नहाने आ गए
पंचवर्षीय पुण्य पाने आ गए….।
सगे बन कल तक जहाँ
जमकर उड़ाई रसमलाई
हो गई जब बंद आवक
दिव्य दृष्टि तभी पाई,
साफगोई के कुतर्की
सौ बहाने आ गए
पंचवर्षीय पुण्य पाने आ गए….।
तत्वदर्शी चिर युवा
हिंदुत्व बूढ़ों को सिखाए
इधर कुछ श्रीराम के
नारे लगा उनको भुनाए,
साथ भेड़ों को लिए फिर
खेत खाने आ गए
पंचवर्षीय पुण्य पाने आ गए
प्रेम की गंगा बहाने आ गए।
© सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
जबलपुर/भोपाल, मध्यप्रदेश, अलीगढ उत्तरप्रदेश
मो. 9893266014
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈