हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ – ☆ आशीष साहित्य – # 12 – अंतिम चेतावनी ☆ – श्री आशीष कुमार

श्री आशीष कुमार

 

(युवा साहित्यकार श्री आशीष कुमार ने जीवन में  साहित्यिक यात्रा के साथ एक लंबी रहस्यमयी यात्रा तय की है। उन्होंने भारतीय दर्शन से परे हिंदू दर्शन, विज्ञान और भौतिक क्षेत्रों से परे सफलता की खोज और उस पर गहन शोध किया है। अब  प्रत्येक शनिवार आप पढ़ सकेंगे  उनके स्थायी स्तम्भ  “आशीष साहित्य”में  उनकी पुस्तक  पूर्ण विनाशक के महत्वपूर्ण अध्याय।  इस कड़ी में आज प्रस्तुत है   “अंतिम चेतावनी ।)

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☆ साप्ताहिक स्तम्भ – ☆ आशीष साहित्य – # 12 ☆

 

☆ अंतिम चेतावनी  

 

रावण ने कहा –  “हे बेवकूफ वानर, मैं वही रावण हूँ जिनकी बाहों की शक्ति पूरा कैलाश जानता है। मेरी बहादुरी की सराहना महादेव ने भी की है जिनके आगे मैंने अपने सिर भेट स्वरूप चढ़ायेहैं । तीनों दुनिया मेरे विषय में जानती है”

अंगद ने कहा –  “आप अपने रिश्तेदारों के विषय में जानते हैं। ताड़का, मारिच, सुभाहू, और अन्य कई अब वह कहाँ हैं? वे भगवान राम के द्वारा जैसे वो बच्चों को खेल खिला रहे हो इस तरह मारे गए।भगवान परशुराम (अर्थ : राम जिनके पास हमेशा एक कुल्हाड़ी हो), जिन्होंने क्षत्रियों के पूरे वंश को कई बार मारा था को भगवान राम ने बिना किसी भी कुल्हाड़ी के पराजित किया था। वह इंसान कैसे हो सकते है? हे मूर्ख, क्या राम एक इंसान है? क्या काम देव (कामुक या यौन प्रेम की इच्छाओं के भगवान), केवल एक तीरंदाज है? क्या गंगा (दुनिया की सबसे पवित्र नदी), केवल एक नदी है? क्या कल्पवृक्ष (इच्छा-पूर्ति करने वाला दिव्य वृक्ष) केवल एक वृक्ष है? क्या अनाज केवल एक दान है? क्या अमृत (अमरता का तरल), केवल एक रस ​​है ? क्या गरुड़ केवल एक पक्षी है? क्या शेषनाग (एक दिव्य सांप जो यह दिखाता है कि विनाश के बाद क्या बचा है), केवल एक साँप है? क्या चिंतामाणि (इच्छा-पूर्ति करने वाला रत्न), केवल एक मणि है? क्या वैकुण्ठ (भगवान विष्णु का निवास, हर आत्मा का अंतिम गंतव्य), केवल एक लोकहै? क्या वह वानर जिसने तुम्हारे बेटे और तुम्हारी सेना को मार डाला, एवं अशोक वटिका को नष्ट कर दिया, और तुम्हारे नगर जला को डाला केवल एक वानर है? हे, रावण, भगवान राम के साथ शत्रुता को भूल जाओ और उनकी शरण में चले आओ, अन्यथा तुम्हारे कुल का नामोनिशान तक मिट जायेगा”

 

 

© आशीष कुमार