श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’

(सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी अर्ध शताधिक अलंकरणों /सम्मानों से अलंकृत/सम्मानित हैं। आपकी लघुकथा  रात  का चौकीदार”  महाराष्ट्र शासन के शैक्षणिक पाठ्यक्रम कक्षा 9वीं की  “हिंदी लोक भारती” पाठ्यपुस्तक में सम्मिलित। आप हमारे प्रबुद्ध पाठकों के साथ  समय-समय पर अपनी अप्रतिम रचनाएँ साझा करते रहते हैं। आज प्रस्तुत है होली के मूड में एक अतिसुन्दर रचना  “तो क्यों तुम हैरान हो गए….!”)

☆  तन्मय साहित्य  #124 ☆

☆ तो क्यों तुम हैरान हो गए….! ☆ श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ ☆

गतिविधियों से धूम मचाई

कस्बे गाँव शहर में तुमने,

हम घर बैठे चर्चाओं में

तो क्यों तुम हैरान हो गए!

 

बेल चुके काफी पहले हम

पापड़,- अब तुम बेल रहे हो

सूद मिल रहा उसका हमको,

तो क्यों तुम हैरान हो गए!

 

विजय जुलूस निकाले तुमने

वोटों की गिनती से पहले

जश्न जीत का मना रहे हम,

तो क्यों तुम हैरान हो गए!

 

राज्यपाल से तुम सम्मानित

आस लगी अब राष्ट्रपति से

ग्रामपंच से हमें मिल गया

तो क्यों तुम हैरान हो गए!

 

होली के पहले से होती

शुरू हरकतें सदा तुम्हारी

हम होली पर जरा हँस लिए,

तो क्यों तुम हैरान हो गए!

 

रंग, भंग के सँग होली में

डूबे तुम हुरियार बने हो

जरा गुलाल लगाया हमने,

तो क्यों तुम हैरान हो गए!

 

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भरे तुम्हारे कॉपी पेस्ट से

एक पोस्ट हफ्ते में अपनी

तो क्यों तुम हैरान हो गए।

 

दीन दुखी गरीब जनता के

सुख समृद्ध धनी सेवक तुम

भूखों की अगुआई हमने की

तो क्यों हैरान हो गए!

 

© सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय

जबलपुर/भोपाल, मध्यप्रदेश, अलीगढ उत्तरप्रदेश  

मो. 9893266014

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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