सुश्री दीपा लाभ
(सुश्री दीपा लाभ जी, बर्लिन (जर्मनी) में एक स्वतंत्र पत्रकार हैं। हिंदी से खास लगाव है और भारतीय संस्कृति की अध्येता हैं। वे पिछले 14 वर्षों से शैक्षणिक कार्यों से जुड़ी हैं और लेखन में सक्रिय हैं। आपकी कविताओं की एक श्रृंखला “अब वक़्त को बदलना होगा” को हम श्रृंखलाबद्ध प्रकाशित करने का प्रयास कर रहे हैं। आज प्रस्तुत है इस श्रृंखला की अगली कड़ी।)
☆ कविता ☆ अब वक़्त को बदलना होगा – भाग -3 ☆ सुश्री दीपा लाभ ☆
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राम-राज्य पाना आसान नहीं,
एक कोशिश तो कर सकते हैं
अनुचित कृत्यों से दूर हो
इतिहास नया गढ़ सकते हैं
जो उचित है ऐसे कृत्य करें
न्याय-संगत व्यवहार करें
भ्रष्ट तंत्रों का करें नाश
फैलाएँ नीतिगत प्रकाश
अब भोलीभाली जनता का
भक्षण नहीं, रक्षण होगा
छलने की साजिश बहुत हुई
अब जनता का स्वागत होगा
अब वक़्त को बदलना होगा
अब भी जब अहंकार कभी
मानवता के सिर चढ़ बोलेगा
तब हर घर में फिर एक बार
भक्त प्रहलाद जनम लेगा
हर स्तम्भ से नरसिंह निकलेगा
चौखट पर दंभ का अंत होगा
षडयंत्र न कुछ चल पाएगा
बस सत्य का परचम लहरेगा
अब वक़्त को बदलना होगा
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© सुश्री दीपा लाभ
बर्लिन, जर्मनी