हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ – ☆ काव्य कुञ्ज – # 8 – गीत – तिरंगा जब लहराएगा ☆ – श्री मच्छिंद्र बापू भिसे

श्री मच्छिंद्र बापू भिसे

(श्री मच्छिंद्र बापू भिसे जी की अभिरुचिअध्ययन-अध्यापन के साथ-साथ साहित्य वाचन, लेखन एवं समकालीन साहित्यकारों से सुसंवाद करना- कराना है। यह निश्चित ही एक उत्कृष्ट  एवं सर्वप्रिय व्याख्याता तथा एक विशिष्ट साहित्यकार की छवि है। आप विभिन्न विधाओं जैसे कविता, हाइकु, गीत, क्षणिकाएँ, आलेख, एकांकी, कहानी, समीक्षा आदि के एक सशक्त हस्ताक्षर हैं। आपकी रचनाएँ प्रसिद्ध पत्र पत्रिकाओं एवं ई-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं।  आप महाराष्ट्र राज्य हिंदी शिक्षक महामंडल द्वारा प्रकाशित ‘हिंदी अध्यापक मित्र’ त्रैमासिक पत्रिका के सहसंपादक हैं। अब आप प्रत्येक बुधवार उनका साप्ताहिक स्तम्भ – काव्य कुञ्ज पढ़ सकेंगे । आज प्रस्तुत है उनकी नवसृजित कविता “गीत – तिरंगा जब लहराएगा ”

 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – काव्य कुञ्ज – # 8 ☆

 

☆ गीत – तिरंगा जब लहराएगा

 

तिरंगा जब भी,

आसमान में लहराएगा,

हर भारतवासी का दिल,

अभिमान से भर आएगा।

 

मंगल पांडे जी की आहुति,

गंध मिट्टी यहाँ आज भी देती,

जब भी आजाद देश जश्न मनाएगा,

हर सूरमा आँसू दे जाएगा।

 

बापू की बात थी न्यारी,

सत्य, अहिंसा के थे पुजारी,

जो शांति की राह अपनाएगा,

फिर राजघाट भी खुशी मनाएगा।

 

अंग्रेजों ने की मनमानी,

सह न पाए हिन्दुस्तानी,

मर मिटे हैं मर मिटेंगे,

फिर-फिर जन्म ले आएगा।

 

इक पल की नहीं ये आजादी,

कितनों ने ही जान गवाँ दी,

याद करके उनकी आज,

दिल बाग-बाग हो जाएगा।

 

नाम अमर हो जाएगा

जो वतन पर मिट जाएगा,

देश का सपूत कहलाएगा,

आबाद आजादी जो रख पाएगा।

 

© मच्छिंद्र बापू भिसे

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