श्री संतोष नेमा “संतोष”
(आदरणीय श्री संतोष नेमा जी कवितायें, व्यंग्य, गजल, दोहे, मुक्तक आदि विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं. धार्मिक एवं सामाजिक संस्कार आपको विरासत में मिले हैं. आपके पिताजी स्वर्गीय देवी चरण नेमा जी ने कई भजन और आरतियाँ लिखीं थीं, जिनका प्रकाशन भी हुआ है. आप डाक विभाग से सेवानिवृत्त हैं. आपकी रचनाएँ राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशित होती रहती हैं। आप कई सम्मानों / पुरस्कारों से सम्मानित/अलंकृत हैं. “साप्ताहिक स्तम्भ – इंद्रधनुष” की अगली कड़ी में प्रस्तुत हैं एक भावप्रवण रचना “फागुन लायो रंग हजार…”। आप श्री संतोष नेमा जी की रचनाएँ प्रत्येक शुक्रवार आत्मसात कर सकते हैं।)
☆ साहित्यिक स्तम्भ – इंद्रधनुष # 116 ☆
☆ फागुन लायो रंग हजार… ☆
रँग रंगीलो फागुन आयो, चलती प्रेम फुहार
श्याम छबीलो नाचन लागो, भर नैनन में प्यार
राधे कहती हैं सखियों से, प्रेमहिं प्रभु का द्वार
प्रेम गीत कोयलिया गावे, छाई बसंत बहार
होरी देखन आज बिरज में, लम्बी लगीं कतार
पुलकित है “संतोष” आज तो, खुशियाँ मिलीं अपार
© संतोष कुमार नेमा “संतोष”
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