डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं नवरात्रि पर्व पर विशेष “मुक्तक देवी के”। )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 126 – साहित्य निकुंज ☆
☆ मुक्तक देवी के ☆
महिमा मां की निराली आया तेरे द्वार
करता हूं मैं वंदना कर दो तुम उद्धार।
मैं बिनती तुझ से करूं रख लो मेरी लाज
जन्म मरण का प्रश्न है कर दो नैया पार।।
पुकारू मैं तुझे जब भी मेरे दर्शन में तू आए
मैं खोलूं आंख तो मेरे ख्वाबों में समा जाए।
तू देवी सा रूप है करूं मैं याचना तुझसे।
मुझे तू अपना ही समझे मुझमें तू समा जाए।।
मां कात्यानी रूप की करते जय जयकार।
हर लो मां तुम विपदा सारी होकर सिंह सवार।।
करती है कल्याण मां देती है वह वरदान।
दुख सारे हरती मां करे दुष्टों का संहार।।
© डॉ.भावना शुक्ल
सहसंपादक…प्राची
प्रतीक लॉरेल , C 904, नोएडा सेक्टर – 120, नोएडा (यू.पी )- 201307
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈