श्री श्याम खापर्डे
(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय एवं भावप्रवण कविता “# चलते चलते जीवन में #”)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 78 ☆
☆ # चलते चलते जीवन में # ☆
चलते चलते जीवन मे
कुछ मोड़ ऐसे आते हैं
कुछ मंजिल तक पहुंचाते हैं
कुछ राह से भटकाते हैं
जब दो-राहे पर खड़ा पथिक
असमंजस मे होता है
स्वयं के विवेक से निर्णय कर
अपना धैर्य नहीं खोता है
वही पाता है अपना लक्ष्य
जिसके पैरों में छाले आते हैं
तूफानों से क्या घबराना
उनका जोर है तबाही लाना
बसे बसाए आशियाने को
ताकत के बल पर उड़ा ले जाना
मर्द कहते हैं उन्हें
जो उजड़े आशियाने को बसाते हैं
फूलों की चाहत है सबको
कांटों का क्या दोष है
सदा फूलों की रक्षा करते
चुभते हैं पर निर्दोष हैं
उपवन का सौंदर्य तो
कांटे ही बचाते हैं
अनेक मिलते हैं राहों में
जो अपने सपने बुनते हैं
सपनों को साकार करने
किसी सहचर को चुनते हैं
जब बिछड़ जाता है वो
उसकी यादों से दिल बहलाते हैं /
© श्याम खापर्डे
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