श्रीमती सिद्धेश्वरी सराफ ‘शीलू’
(संस्कारधानी जबलपुर की श्रीमति सिद्धेश्वरी सराफ ‘शीलू’ जी की लघुकथाओं, कविता /गीत का अपना संसार है। साप्ताहिक स्तम्भ – श्रीमति सिद्धेश्वरी जी का साहित्य शृंखला में आज प्रस्तुत है स्त्री विमर्श एवं परिस्थिति जन्य कथानक पर आधारित एक अतिसुन्दर भावप्रवण रचना “अमृतवाणी…”। )
☆ श्रीमति सिद्धेश्वरी जी का साहित्य # 124 ☆
☆ कविता – 🌹 अमृतवाणी…🌹 ☆
जीवन ज्योति जड़ चेतन,
पावन निर्मल अग्नि अगन।
गीता वेद पुराण कहे,
मनुज सुने होकर मगन।
हर युग में नारी की शक्ति,
पल पल नियती उसकी भक्ति।
सारे भूमंडल पर महिमा,
माँ हो कर पाए मुक्ति।
प्राणी की है अनुपम काया,
बंधा हुआ जीवन माया।
प्रेम दया करुणा ममता,
इससे होती सुंदर छाया।
युगों युगों की बात का,
रखते सभी है ध्यान।
माता पिता गुरु सेवा से,
सब होते हैं महान।
बिटिया जन्म है अनमोल,
नहीं है इसका कोई तोल।
पाकर इनको नमन करें,
बोलती मीठे मीठे बोल।
बेटा है अनमोल रतन,
पाकर खिलता अपना चमन।
वंश वृद्धि ये बेल बढ़ाए,
सुख कर होता है जीवन।
नर्मदा का पावन जल,
बहता निर्मल कल कल कल ।
सद कर्मों की पुण्य दायिनी,
पुण्य सलिला है अविरल।
चिड़ियों का चहचहाना,
जड़ चेतन को रोज जगाना।
भूले भटके को राह दिखाना,
अपनों में हैं मिलकर रहना।
प्रेम भक्ति से जो कोई,
करता हरि का ध्यान।
पाप मिटे संकट कटे,
मनचाहे पाए वरदान।
श्रद्धा सुमिरन से प्रभु,
करती हूं आराधना ।
पूरी करना आप सभी,
साँसों की हर साधना।
© श्रीमति सिद्धेश्वरी सराफ ‘शीलू’
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈