श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी के साप्ताहिक स्तम्भ “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है “मनोज के दोहे”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।
मनोज साहित्य # 34 – मनोज के दोहे ☆
(फसल, मिट्टी, खलिहान, अन्न, किसान)
हरित क्रांति है आ गई, भारत बना महान।
फसल उगा कर भर रहा, पेट और खलिहान।।
मिट्टी की महिमा अलग, सभी झुकाते माथ।
जनम-मरण शुभ-कार्य में, सँग रहता साथ।।
कृषक भरें खलिहान को, रक्षा करें जवान।
खुशहाली है देश में, सभी करें यशगान।।
अन्न उपजता खेत में, श्रम जीवी परिणाम।
बहा पसीना कृषक का, सुबह रहे या शाम।।
कुछ किसान दुख में जिएँ, कष्टों की भरमार।
उपज मूल्य अच्छा मिले, मिलकर करें विचार।।
© मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
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