(प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ जी के साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक साहित्य ” में हम श्री विवेक जी की चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं। श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र जी, मुख्यअभियंता सिविल (म प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी , जबलपुर ) से सेवानिवृत्त हैं। तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ ही उन्हें साहित्यिक अभिरुचि विरासत में मिली है। आपको वैचारिक व सामाजिक लेखन हेतु अनेक पुरस्कारो से सम्मानित किया जा चुका है। )
आज प्रस्तुत है बिजनौर, उत्तर प्रदेश के अभियंता इं हेमन्त कुमार के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर आधारित प्रेरकआलेख “जन-जागरण अभियान, अविष्कार व तकनीकी लेखन – इं. हेमन्त कुमार “।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक सहित्य # 162 ☆
जीवन-यात्रा – जन-जागरण अभियान, अविष्कार व तकनीकी लेखन – इं. हेमन्त कुमार
सिंचाई के लिए “कंट्रोल्ड वाटर एंड एयर डिस्पेंसर फॉर इनडोर एंड आउटडोर प्लांट्स” आविष्कार का पेटेंट मिला इं. हेमन्त कुमार को
नवाचार, शोध, विज्ञान लेखन, हरियाली विस्तार, भवन कला, रेखा चित्रण, तथा स्थानीय इतिहास संवर्धन के क्षेत्र में लम्बे समय से कार्य कर रहे इंजी हेमंत कुमार बहुआयामी प्रतिभा के धनी हैं। हैं। इन क्षेत्रों में विधिवत और परिणामपरक कार्य करने के लिए हेमन्त कुमार ने वर्ष 2002-03 में भवन निर्माण तकनीक जन-जागरण अभियान, वर्ष 2016 में क्षेत्रीय इतिहास संकलन एवं लेखन अभियान जनपद बिजनौर तथा वर्ष 2016-17 में हरियाली विस्तार हेतु पेड़ जियाओ अभियान की स्थापना की। इनके कार्यों की एक बड़ी विशेषता है कि वे सीधे जनता के सरोकार से जुड़े हैं। इनके माध्यम से हेमन्त कुमार ने कई महत्वपूर्ण और उल्लेखनीय कार्य किए हैं।
भवन निर्माण तकनीक जन-जागरण अभियान व तकनीकी लेखन
मकान समाज की मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है। परंतु बहुत कम लोग ही इसका मनमुताबिक निर्माण करा पाते हैं क्योंकि इसका निर्माण महँगा और तकनीकी कार्य है। दुर्भाग्य से जनसाधारण को भवन निर्माण तकनीक का बहुत कम ज्ञान है। सिविल इंजीनियर और आर्किटेक्ट की सुविधाएँ भी साधन-संपन्न और धनी लोग ही उठा पाते हैं। गरीब और आम जनता को भवन कारीगर जैसा बना देता है वही उसके लिए सब कुछ होता है। इन कारणों से भवनों में अनेक कमियाँ रह जाती हैं। जिससे व्यक्ति की गाढ़ी कमाई का एक हिस्सा व्यर्थ चला जाता है। राष्ट्रीय संसाधनों का भारी नुकसान होता है और भवनों की आयु भी कम हो जाती है। आम जनता से जुड़ा हुआ मुद्दा होने के बावजूद भी इस पर कोई जन-जागरण कार्य नही हुआ। इस विषय पर इं. हेमंत कुमार ने ‘भवन निर्माण तकनीक जन-जागरण अभियान’ की शुरूआत की। इस अभियान के अंतर्गत हेमन्त कुमार सरल हिंदी में दो पुस्तकें लिख चुके हैं। इस अभियान के अंतर्गत आपने जरूरतमंद लोगों को अभी तक लगभग एक हजार नक्शे बनाकर निस्वार्थ भाव से उपलब्ध कराए हैं। साथ ही अनेक जन-जागरण गोष्ठी आयोजित कर जनता को सीधे लाभ पहुँचाया है।
भवन निर्माण क्षेत्र में जन-जागरण के लिए हेमंत कुमार ‘मकान बनवाते समय ध्यान रखने वाली 125 बहुत जरूरी बातें’ तथा ‘विविध प्रकार के भवनों का परिचय एवं नक्शे’ नामक दो पुस्तकें लिख चुके हैं। जनहित में इन्होंने इन दोनों पुस्तकों का ई-संस्करण विमोचन के समय से ही निशुल्क कर दिया, जो कि बौद्धिक रूप से एक बहुत बड़ी समाज सेवा है। इनकी पुस्तक ‘विविध प्रकार के भवनों का परिचय एवं नक्शे’ को उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान ने वर्ष 2019 के लिए सम्पूर्णानन्द नामित पुरस्कार और पचहत्तर हजार की धनराशि देकर सम्मानित किया। इस पुस्तक का विमोचन आई.आई.टी. रूड़की में स्थित इंस्टिट्यूट ऑफ इंजीनियर्स के सभागार में हुआ था।
भवन कला चित्रांकन
हेमन्त कुमार ने भवन कला से सम्बंधित लगभग एक हजार चित्र बनाए। जिनमें से अनेक सोंदर्यबोध की दृष्टि से उच्च कोटि के हैं। इन चित्रों में कुछ की कला का मूल्यांकन डॉ. श्याम बिहारी अग्रवाल (पूर्व प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष दृश्यकला विभाग इलाहबाद विश्वविद्यालय) के द्वारा किया गया है। इनकी पुस्तक ‘विविध प्रकार के भवनों का परिचय एवं नक्शे’ में भवन कला से जुड़े और इनके बनाए अनेक उत्कृष्ट चित्र लगे हैं।
भवन निर्माण तकनीक जन-जागरण अभियान के अंतर्गत जनोपयोगी व लोक हितकारी कार्यों के लिए श्री हेमन्त कुमार लोक निर्माण विभाग उत्तर प्रदेश के मा. राज्य मंत्री श्री चन्द्रिका प्रसाद उपाध्याय के हाथों सम्मान पत्र पा चुके हैं ।
जनोपयोगी शोध एवं नवाचार
अंतर्राष्ट्रीय शोध जनरल में हेमन्त कुमार के तीन तकनीकी शोधपत्र प्रकाशित हो चुके हैं। वर्ष 2018 में हेमंत कुमार का लिखा ‘HK MODE’ FOR DETERMINATE THE SAFETY LEVEL OF RIVER EMBANKMENTS नामक एक शोध पत्र प्रकाशित हुआ। यह शोधपत्र बस्तियों तथा उपजाऊ खेती को बाढ़ से बचाने के लिए नदियों के किनारे बनाए जाने वाले तटबंधों की सुरक्षा का स्तर ज्ञात करने के लिए लिखा गया था। पूर्वी उत्तर प्रदेश में राप्ती नदी की बाढ़ से भारी नुकसान होता है। बाढ़ की विभीषिका को कम करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने इन नवीनतम तकनीकों का प्रयोग कर नदी जल धारा के विस्थापन का पूर्वानुमान लगाने हेतु कंप्यूटर एप्लीकेशन आधारित कार्य कराए थे। इन कार्यों में हेमंत कुमार के इस शोधपत्र का भी सन्दर्भ लिया गया। नदी की जलधारा के स्थान परिवर्तन का पूर्वानुमान लगाते हुए उससे तटबंधों को होने वाले नुकसान के संबंध में तथा बाढ़ के प्रति उनकी सुरक्षा का स्तर ज्ञात करने में इस शोधपत्र ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस शोधपत्र का उल्लेख कार्य करने वाली दोनों फर्मो ने अपनी-अपनी फाइनल रिपोर्ट में किया है। नदी तटबंध की सुरक्षा ज्ञात करने का यह अपनी तरह का पहला और मौलिक शोधपत्र है। तीन शोधपत्रों के अलावा विज्ञान और तकनीक पर इनके लिखे अनेक लेख पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं।
आविष्कार-
सन 2016-17 में श्री हेमन्त कुमार ने पौधों की स्वतः सिंचाई के लिए कंट्रोल्ड वाटर एंड एयर डिस्पेंसर फॉर इनडोर एंड आउटडोर प्लांट्स नामक आविष्कारक किया। वर्ष 2021 में इस आविष्कार के क्रियाकारी सिद्धांत को भारत सरकार के बौद्धिक सम्पदा केंद्र ने पेटेंट प्रदान किया गया है। इसका पेटेंट नंबर 370026 है। इस सिद्धांत पर बना उपकरण गमले में लगे पौधे की महीनों तक स्वतः सिंचाई कर सकता है। जमीन में लगे पाँच-छः फीट तक ऊँचाई के पौधों के लिये भी यह उपयोगी है। उपकरण में पानी हाथ से भरा जाता है। यह उपकरण एक सप्ताह में पानी को 200 मिलीलीटर से लेकर एक लीटर तक पौधों की जड़ में भेज सकता है। आयु, किस्म तथा मौसम के अनुसार पौधे की जरुरत के मुताबिक भेजे जाने वाली पानी की मात्रा उपकरण में लगे नाब द्वारा सेट कर दी जाती है। इसके बाद यह उपकरण पानी की तय मात्रा को खुद-ब-खुद पौधों तक पहुँचता रहता है। इस उपकरण से पानी सीधे पौधे के जड़ क्षेत्र में पहुँचता है। इस खासियत के चलते लगभग 20 प्रतिशत पानी भी बचता है। इस उपकरण को एक लीटर से लेकर कितनी भी क्षमता का बनाया जा सकता है। बड़ी टंकी से युक्त यह उपकरण एक बार पानी से भरे जाने के बाद सामान्य पौधे की दो महीने तक सिंचाई कर सकता है। इसलिये जो लोग 15-20 दिन या एक-दो महीनों के लिये बाहर जाने के कारण सिंचाई नहीं कर पाते उनके लिये यह बहुत फायदेमंद है। जितनी बड़ी टंकी होगी उतने ही अधिक दिनों तक यह काम करता रहता है। पहाड़ों या दुर्गम क्षेत्रों में जहाँ नव रोपित पौधों की सिंचाई के लिये बार बार जाना मुश्किल होता है वहाँ के लिये भी यह उपयोगी है। इसमें पानी हर समय जड़ों में नहीं पहुँचता बल्कि बीच-बीच में तीन-चार दिनों के लिए रुकता भी है जिससे लगातार पानी के संपर्क में रहने से गल जाने वाली जड़ों के पौधे इसके प्रयोग से नहीं मरते। बगीचों में नव रोपित पौधों की स्वतः सिंचाई के लिए यह आविष्कार बहुत उपयोगी है। रेगिस्तानी इलाकों के लिये भी यह आविष्कार बहुत उपयोगी है। इस उपकरण को बिजली या सेल या अन्य किसी बाहरी उर्जा की जरूरत नहीं पड़ती, यह पानी स्थैतिक उर्जा से कार्य करता है। उक्त आविष्कार के अलावा हेमन्त कुमार के सात अन्य नवाचार भी पेटेंट के लिए आवेदित हैं।
डिजाइन श्रेणी में नवाचार-
हेमंत कुमार रोजमर्रा की जिंदगी में काम आने वाले उपकरणों के विकास और उन्नतीकरण में भी माहिर हैं। आप किसी नई आवश्यकता के लिए नए उपकरण का विकास तथा पहले से मौजूद उपकरणों को उन्नत भी कर लेते हैं। इस योग्यता और रूचि के कारण आप अभी तक विभिन्न वस्तुओं और चीजों के अनेक नवीन डिजाइन बना चुके हैं। इनमें से इन्होंने तीन डिजाइनों को भारत के बौद्धिक संपदा केंद्र/पेटेंट ऑफिस में मान्यता प्राप्त करने के लिए आवेदन किया हुआ है। इसमें से एक नूतन डिजाइन को पेटेंट ऑफिस ने मान्यता प्रदान की है। हेमंत कुमार ने अपने विभिन्न नवाचार, नए डिजाइन तथा आविष्कार के वर्किंग माडल्स को घरों में पाई जाने वाली सामान्य घरेलू वस्तुओं को जोड़-तोड़ करके तैयार किया है। सामान्य घरेलू वस्तुओं की सहायता से आपने डेढ़ साल के निरंतर प्रयासों से एक ‘30 स्टेप रोबोटिक एनालॉग सिग्नल कंट्रोलर’ भी बनाया था।
व्यक्तिगत श्रेणी में बौद्धिक संपदा केंद्र के विविध क्षेत्रों में तीन प्रमाण पत्र
भारत सरकार आविष्कार करने पर ‘पेटेंट सर्टिफिकेट’, नया डिजाइन तैयार करने पर ‘डिजाइन सर्टिफिकेट’ तथा मौलिक पुस्तक लिखने पर ‘कॉपीराइट सर्टिफिकेट’ प्रदान करती है। भारत में गिने-चुने लोग ही हैं जिनके पास ये तीनों सर्टिफिकेट हैं। इंजीनियर हेमंत कुमार ने वर्षों की अथक मेहनत, जीवटता और निरंतर प्रयास करके इन तीनों श्रेणियों में सर्टिफिकेट हासिल किए हैं।
विविध लेखन कार्य
वर्ष 2021 के अंत तक श्री हेमन्त कुमार की लिखी छह पुस्तक प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनके नाम इस प्रकार हैं- 1) मकान बनवाते समय ध्यान रखने वाली 125 बहुत जरूरी बातें 2) विविध प्रकार के भवनों का परिचय एवं नक्शे 3) विचार मंजरी 4) पुस्तक विमोचन के सचित्र संस्मरण 5) भवन निर्माण तकनीक जनजागरण अभियान परिचय, उपलब्धि, संस्मरण और नक्शे 6) ग्राम फीना के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और उनकी संघर्ष गाथा। इन सभी छह पुस्तकों को आई.एस.बी.एन. नंबर प्राप्त है। आप राष्ट्रीय मासिक पत्रिका ‘दी कोर’ के पूर्व अतिथि सम्पादक रहे। ‘दी कोर’ के लिए आपने निरंतर लिखा। आप इस पत्रिका में सह-संपादक एवं वरिष्ठ सह संपादक भी रहे।
इतिहास संदर्भ कार्य
श्री हेमन्त कुमार ने 2015 के आसपास अपने गाँव और जिले के इतिहास पर भी कार्य करना शुरू किया।
वर्षों तक निरंतर काम करने के कारण वर्ष 2020-21 में समाचार पत्रों ने इनका नाम कई बार बिजनौर इतिहास के जानकार के रूप दिया गया । अब इनकी पहचान क्षेत्रीय इतिहास अध्येता और लेखक के रूप में भी बन गई है।
राष्ट्रीय स्तर पर भारत सरकार के द्विवर्षीय ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के दौरान उपलब्धि
वर्ष 2021 में इनकी ‘ग्राम फीना के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और उनकी संघर्ष गाथा’ नामक पुस्तक प्रकाशित हुई जो भारत सरकार द्वारा संचालित द्विवर्षीय अमृत महोत्सव के दौरान गुमनाम स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों पर प्रकाशित होने वाली राष्ट्रीय स्तर पर पहली पुस्तक है। इस प्रयास में श्री हेमन्त कुमार ने लगभग तीस गुमनाम सेनानियों की खोज की। इन्होंने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और उनसे जुड़ी कई घटनाओं के रेखाचित्र भी बनाए। इनमें से 16 अगस्त 1942 को नूरपुर तिरंगा केस के ऐतिहासिक चित्र का विमोचन एस.पी. सिटी (बिजनौर) ने किया था।
‘नववर्ष चेतना समिति लखनऊ’ द्वारा आयोजित एक राष्ट्रीय गोष्ठी में इन्होंने ‘महाराज विक्रमादित्य की सर्व स्वीकार्यता में अड़चने’ नामक अपने शोधपत्र का वाचन लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ में किया था। इसके लिए हेमन्त कुमार को श्री हृदयनारायण दीक्षित (मा. विधानसभा अध्यक्ष उत्तर प्रदेश) के हाथों प्रमाण पत्र मिला था। ‘ग्राम फीना में स्वतंत्रता आन्दोलनों की लहर’ नामक इनके एक अन्य शोधपत्र के ई-संस्करण का लोकार्पण जिलाधिकारी बिजनौर द्वारा किया गया था।
सेनानियों के गौरव के प्रति जनचेतना और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्मारक का निर्माण-
हेमंत कुमार द्वारा लिखे गए शोध पूर्ण इतिहास लेखों से इनके पैतृक ग्राम फीना में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के प्रति लोगों का गौरव भान और जनचेतना उच्च स्तर पर जागृत हुई। हेमंत कुमार की पहल और प्रेरणा से फीनावासियों ने परस्पर आर्थिक सहयोग कर एक अत्यंत भव्य स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्मारक का निर्माण कराया गया। जिसमें लगभग ग्यारह लाख रूपये की लागत आई।
श्री हेमन्त कुमार के विविध कार्यों पर पुस्तक-
श्री हेमन्त कुमार द्वारा पेड़ जियाओ अभियान, क्षेत्रीय इतिहास संकलन एवं लेखन अभियान जनपद बिजनौर तथा भवन निर्माण तकनीक जन-जागरण जैसे अभियानों की स्थापना व संचालन और विविध क्षेत्रों में किए गए जनोपयोगी कार्यों पर एक पुस्तक लिखी गई है। इस पुस्तक का नाम ग्राम फीना जनपद बिजनौर निवासी इं. हेमन्त कुमार के कार्य है। इस पुस्तक को मलीहाबाद निवासी श्री सुशील कुमार ने लिखा है।
© विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’
एफ आई ई , सेवानिवृत मुख्य अभियंता , पूर्व क्षेत्र विदयुत वितरण कंपनी
ए २३३ , ओल्ड मीनाल , भोपाल ४६२०२३
मो ७०००३७५७९८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
साहित्य एवं कला विमर्श के पटल पर स्थान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद सर.
यह एक पुरस्कार मिलने के समान है.