डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं “भावना के दोहे”।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 135 – साहित्य निकुंज ☆
☆ भावना के दोहे ☆
गैया बछिया संग में, बैठे बाल गुपाल।
बंसी मधुर बजा रहे, नाच रहे हैं ग्वाल ।।
झांकी सुंदर लग रही,कृष्ण मुरारी श्याम।
प्यार करें मन मोहना, श्यामा मेरा नाम।।
धुन बंसी की सुन रहे,ग्वाल बाल है साथ।
मधुर मधुर मोहक बजे,लिए मुरलिया हाथ।।
दृश्य कैसा सुहावना, नदी बह रही शांत।
हरियाली सुंदर लगे,मोहित होता प्रांत।।
बहती पावन है नदी,दृश्य बड़ा है खास।
कृष्ण निहारे प्यार से,सदा नेह की आस।।
© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
प्रतीक लॉरेल, J-1504, नोएडा सेक्टर – 120, नोएडा (यू.पी )- 201307
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈