डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं “भावना के दोहे …”।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 138 – साहित्य निकुंज ☆
☆ भावना के दोहे … ☆
व्याकुल है पंछी सभी,नहीं बुझ रही प्यास।
गरमी इतनी बढ़ रही,बस पानी की आस।।
प्यासी धरा पुकारती, कब बरसोगे श्याम।
अब तो सुनो पुकार तुम ,मिले चैन आराम।।
प्रेम प्यार की पड़ रही,कैसी गजब फुहार।
मिलना है तुमको अभी,आई प्रीति बहार।।
तपी जेठ की धूप में,लगा धरा को घात।
बूँद-बूँद छिड़काव से,ठंडक होता गात।।
मन खुशी से झूम रहा,झड़ी लगी है खूब।
थिरक रही है आज धरा,हरी हो रही दूब।।
© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
प्रतीक लॉरेल, J-1504, नोएडा सेक्टर – 120, नोएडा (यू.पी )- 201307
मोब. 9278720311 ईमेल : [email protected]
बहुत सुंदर व समसामयिक दोहे
बधाई हो आपको