डॉ. सलमा जमाल
(डा. सलमा जमाल जी का ई-अभिव्यक्ति में हार्दिक स्वागत है। रानी दुर्गावती विश्विद्यालय जबलपुर से एम. ए. (हिन्दी, इतिहास, समाज शास्त्र), बी.एड., पी एच डी (मानद), डी लिट (मानद), एल. एल.बी. की शिक्षा प्राप्त । 15 वर्षों का शिक्षण कार्य का अनुभव एवं विगत 25 वर्षों से समाज सेवारत ।आकाशवाणी छतरपुर/जबलपुर एवं दूरदर्शन भोपाल में काव्यांजलि में लगभग प्रतिवर्ष रचनाओं का प्रसारण। कवि सम्मेलनों, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं में सक्रिय भागीदारी । विभिन्न पत्र पत्रिकाओं जिनमें भारत सरकार की पत्रिका “पर्यावरण” दिल्ली प्रमुख हैं में रचनाएँ सतत प्रकाशित।अब तक 125 से अधिक राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार/अलंकरण। वर्तमान में अध्यक्ष, अखिल भारतीय हिंदी सेवा समिति, पाँच संस्थाओं की संरक्षिका एवं विभिन्न संस्थाओं में महत्वपूर्ण पदों पर आसीन।
आपके द्वारा रचित अमृत का सागर (गीता-चिन्तन) और बुन्देली हनुमान चालीसा (आल्हा शैली) हमारी साँझा विरासत के प्रतीक है।
आप प्रत्येक बुधवार को आपका साप्ताहिक स्तम्भ ‘सलमा की कलम से’ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है एक भावप्रवण गीत “मत कहना अनाथ… ”।
साप्ताहिक स्तम्भ – सलमा की कलम से # 33
मत कहना अनाथ… — डॉ. सलमा जमाल
मैं हूँ
‘अनाथ’
उठता है
प्रश्न??
क्या होता है अनाथ?
उसे कहते होंगे
शायद —
जिसके ना हो
कोई साथ ।।
सबके हैं
माता-पिता
भाई-बहन
परिवार
“परंतु”
‘मेरे’?
सभी के हैं नाम
परंतु मेरा?
होटल में,
हरामी, कमीना
गैराज में
साला, कुत्ता, चोर
अनाथ और आवारा
बंगले में,
रामू, छोटू
कलमुंहा,
पेट्रोल पंप में
वीभत्स ताने
अबे गधे, नाकारा,
और
ना जाने क्या-क्या???
बाल मन की
समझ से परे
असंख्य
घृणित संबोधन,
जिन्हें याद कर
ज़ख्म हो जाते हैं हरे ।।
सभी कहते हैं
प्रत्येक औरत
मां है – बहन है
“परंतु “
उनके लिए मैं
एक अनाथ ।।
मां कहने पर
किसी ने उसे
बेटा नहीं कहा,
किसी
अबला को
जब कहा बहन
तो उसे
दुत्कार मिली ।।
इसके आगे
रिश्ते पनप नहीं पाए
गंदी – गंदी
गालियां व
फटकार मिली
फिर मैं
बन गया गुंडा
जैसे अनाम रिश्तों
इंसानों व
समाज द्वारा
निर्मित किया गया था ।।
दो जून की
रोटी की खातिर
जेल में पड़ा हूं,
पढ़ने की लालसा
सहेजे
उठाया था
किसी का बस्ता
और आज
यौवनावस्था में
मृत्यु शैया
पर पड़ा हूं ।।
अंतिम
इच्छा है मेरी
जब भी मिले
कोई अनाथ
तो उसे
मत दुत्कारना,
मत मारना,
मत गाली देना
उसे अपना लेना
माता-पिता बनकर
भाई-बहन बनकर
उसे देना प्यार,
समाज के ठेकेदारों
मत कहना उसे
“अनाथ”
© डा. सलमा जमाल
298, प्रगति नगर, तिलहरी, चौथा मील, मंडला रोड, पोस्ट बिलहरी, जबलपुर 482020
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≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈