श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी  के साप्ताहिक स्तम्भ  “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है “मनोज के दोहे। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।

✍ मनोज साहित्य # 43 – मनोज के दोहे

1 पावस   

पावस की बूँदें गिरीं, हर्षित फिर खलिहान।

धरा प्रफुल्लित हो उठी, हरित क्रांति अनुमान।।

 

2 पपीहा

गूँज पपीहा की सुनी, बुझी न उसकी प्यास।

आम्र कुंज में बैठकर, स्वाति बूँद की आस।।

 

3 मेघ

मेघ गरज कर चल दिए, देकर यह संदेश ।

बरसेंगे उस देश में, कृष्ण भक्ति -अवधेश।।

 

4 हरियाली

शिव की अब आराधना, हरियाली की धूम।

काँवड़ यात्रा चल पड़ी, आया सावन झूम।।

 

5 घटा

छाई सावन की घटा, रिमझिम पड़ी फुहार।

भीगा तन उल्हास से, उमड़ा मन में प्यार।।

©  मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संपर्क – 58 आशीष दीप, उत्तर मिलोनीगंज जबलपुर (मध्य प्रदेश)-  482002

मो  94258 62550

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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